अनुराग लक्ष्य, 1 अक्टूबर,
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुंबई संवाददाता स्वच्छता पर्यावरण को लेकर उत्तर प्रदेश के प्रयाग राज से निकलने वाली मात्र एक पत्रिका, ग्लोबल ग्रीन पिछले 15 वर्षों से निरंतर नदियों स्वच्छता पर एक बतौर मुहिम कार्य कर रही है। खासकर गंगा को निर्मल और साफ किस तरह रखा जाए। इस विषय पर सैकड़ों कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिससे समाज में नदियों और पर्यावरण को सुरक्षित रखने पर हमेशा बल दिया गया।
ग्लोबल ग्रीन के प्रबंध संपादक संजय पुरुषार्थी जी से जब इस विषय को लेकर मुंबई संवाददाता सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ने संपर्क किया तो उन्होंने अपनी संजीदगी भरे लहजे में नदियों और पर्यावरण संरक्षण पर आधारित विस्तार से बातें हुईं, कि किस तरह लोग नदियों और पर्यावरण से अंजान बने बैठे हैं जो भविष्य के लिए एक खतरे की घंटी साबित हो सकती है।
आज उनका चिंतित होना आवश्यक है क्योंकि हम अपनी भाग दौड़ की जिंदगी में यह भूल चुके हैं की जब पेड़, नदियां, और जंगल नहीं रहेंगे तो इस धरती का विकास नहीं विनाश निश्चित है।
उनकी इस चिंता को जो मैने महसूस किया वोह आप पाठकों तक इन चार पंक्तियों में पहुंचने की कोशिश करता हूं, कि,,
,,,, क्या बात है पनघट पे नहीं दिखती शोखियां
बच्चे भी नहीं आते पकड़ने को तितलियां
नदियों का जल कुछ इतना विषैला हुआ लोगों
नदियों से निकलने को हैं बेताब मछलियां,,,,,
……सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ……