नई गजल प्रस्तुत

नज़र के रास्ते दिल में उतर गया कोई

मेरे ही सामने देखो क़मर गया कोई

तुम्हारे वास्ते हर दिल तो इक तमाशा है

तुम्हारी याद में देखो संवर गया कोई

नहीं पता है किसी को भी मेरी मंजिल का

ये सोच करके ही हद से गुजर गया कोई

अभी तो सम्हला नहीं था कि चोट फिर खाई

उठा न फिर यहां ऐसे बिखर गया कोई

दिखी जो राख नदी में तो दिल ने यह सोचा

चलो जहां में कहीं एक तर गया कोई

बिठा के उसको बगल कोई राज़’ जब खोला

वो आया सामने मेरे तो डर गया कोई

अजीत राज

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