वो जो बातें हज़ार करते हैं।
सिर्फ झूठा क़रार करते हैं।
मुस्कुराते हैं तोड़ कर दिल वो।
जिनपे हम जां निसार करते हैं।
मुद्दतों से हैं मुन्तज़िर हम भी।
आपका इंतज़ार करते हैं।
जब हक़ीक़त में वो नहीं मिलते।
उनसे ख़्वाबों में प्यार करते हैं।
मोतबर जो ज़रा न हो रश्मि।
उनपे हम ऐतबार करते हैं।
ज्योतिमा शुक्ला ‘रश्मि’