बस्ती। शनिवार को शिक्षित युवा सेवा समिति के सभागार में अन्तर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
संस्था के निदेशक गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुये कहा कि जो लोग बोल या सुन नहीं पाते हैं, उनके लिए सांकेतिक भाषा बहुत मायने रखता है। इसमें शरीर के हाव-भाव से व्यक्ति से बातचीत की जाती है। इसी हाव-भाव को साइन लैंग्वेज कहा जाता है। जब हम शरीर के अंगों के माध्यम से अपनी बात कहते हैं, तो यह सांकेतिक भाषा कहलाता है। जैसे कोई सुन नहीं पाता है, तो उसे उंगलियों या हाथ के इशारों के माध्यम से अपनी बात समझाते हैं। दिव्यांग लोगों के लिए सांकेतिक भाषा का काफी महत्व है। श्री अग्रवाल ने बताया कि 23 सितंबर, 2018 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा मनाने की घोषणा की थी। अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पहली बार 2018 में मनाया गया था। यह दिन बधिर व्यक्तियों के विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। उन्होने भारत सरकार द्वारा भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केेन्द्र के माध्यम से पुस्तको के सांकेतिक भाषा के निर्माण एवं सांकेतिक भाषा अनुवादक के प्रशिक्षण का संचालन करने पर प्रसन्नता व्यक्त किया।
सांकेतिक भाषा के प्रशिक्षित अनुवादक हरिकेश कुमार गौतम एवं पंकज कुमार रौनियार ने सांकेतिक भाषा की जानकारी दी। इसके साथ ही संस्था के माध्यम से शिक्षित होने के पश्चात इन्दौर से सांकेतिक भाषा के अध्यापक रूप में प्रशिक्षित कुमारी कविता यादव जो कि स्वयं बधिर है ने सांकेतिक भाषा के माध्यम से लोगो केा संवेदनशील बनाने का कार्य किया ।
इस अवसर पर विनोद कुमार उपाध्याय, रामजी शुक्ल, जीतेन्द्र श्रीवास्तव, राघवेन्द्र प्रताप मिश्र, चन्द्रेश्वर प्रसाद मिश्र, राम सुरेश, श्रीमती पूनम सिंह, श्रीमती अनुसुइया देवी, दिवान चन्द्र चौधरी, राज कुमार शुक्ल, श्रषभ, सर्विका, पिं्रयांसी, सूरज, अमित चौधरी, अमीर खान, सुधीर कुमार, अमर सिंह, राकेश कुमार सोनी, रौनक गौड, सीमा गुप्ता, आकांक्षा त्रिपाठी, सीमा पाण्डेय, प्राची मिश्रा, सन्तोष कुमार, रिषुराज, सालिहा खातून, महेश कुमार, कृष्णा आदि लोग मौजूद रहे।