जब से मैंने होश संभाला या कह लूं सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया तो बस्ती में साहित्यिक गतिविधियों के आयोजक के रूप में मेरे सामने सिर्फ दो नाम सामने थे। वह हैं आदरणीय Ram Krishna Lal Jagmag जी व स्वर्गीय Satyendra Nath Matwala जी। बस्ती के लिए यह विभूतियां वर्तमान के आचार्य राम चंद्र शुक्ल, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और लक्ष्मी नारायण लाल थे। मतवाला और जगमग जी की जोड़ी राम लक्ष्मण के जोड़ी की तरह जनपद में साहित्यिक गतिविधियों की माला पिरोती रही। जिसमें पुरातन से लेकर नवोदित साहित्यकारों, कलमकारों, और कवियों को जुड़ने का मौका मिलता रहा।
बस्ती में जब कभी बड़े प्रशासनिक आयोजनों में जिले के स्थानीय कवियों को नजरंदाज किया गया तो यह जोड़ी मुखर होकर बस्ती के साहित्यिक अलख को जगाए रखने के लिए लड़ती रही।
आदरणीय राम कृष्ण लाल जगमग जी ने अपने पुत्र को एक मार्ग दुर्घटना में खोने के बाद जिले के साहित्यिक गतिविधियों में थोड़ी कमी आई तो मतवाला जी के सेहत भी कवि सम्मेलनों में कमी का एक कारण बनता गया।
एक समय था जब महीने में कम से कम 8–10 कार्यक्रम साहित्य पर आधारित होते रहते थे। इसमें न केवल बस्ती के साहित्य जगत के लोग बल्कि प्रशासन, आम जनता और देश के अलग अलग कोनों से आए साहित्यकार, फनकार, गजलकार और आम जनता भी शिरकत करती और वाह वाह के साथ हास्य का ठहाका लगा करता।
होली के दिन जब जगमग जी और मतवाला जी की अगुआई में अमहट शमशान घाट पर ठहाका हास्य महामूर्ख कवि सम्मेलन आयोजित होता तो उसमें भूत प्रेत और स्वर्ग लोक से अवतरित हुये कवि भी हिस्सा लेने को व्याकुल रहते थे।
इसमें किसी को प्रसिद्ध मूर्ख सम्राट की उपाधि मिलती तो किसी को भयंकर ख्याति लब्ध स्वयंभू मूर्ख सम्राट से नवाजा जाता। इस कार्यक्रम का संचालन जहां मूर्ख सम्राट हास्य व्यंग्य के प्रसिद्ध एवं कुख्यात कवि डा. राम कृष्ण लाल जगमग जी करते तो संयोजक मूर्खाधिराज Vinod Upadhyay जी की सुनियोजित दुर्व्यव्यवस्था नजीर बन जाती थी। इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि भूत प्रेतों की कविता सुनने से इंकार कर देते तो घंटो विवाद के बाद मामला किसी तरह से शांत होता था। इस कार्यक्रम में वेदान्ती सत्येन्द्रनाथ मतवाला जी जब ठहाका लगाते तो बिना दातों वाले मुंह से मानों फूल झड़ रहे हों।
आदरणीय जगमग जी की उम्र, सेहत और पुत्र वियोग ने जहां उन्हें तोड़ कर रख दिया है। वहीं उनके राम यानी आदरणीय मतवाला जी की मृत्यु ने बस्ती में होने वाले भविष्य के साहित्यिक आयोजनों में भी कमी आने की संभावना है।
आशा करता हूं की गजलकार, फनकार, गायक और पत्रकार आदरणीय विनोद उपाध्याय जी अब आदरणीय जगमग जी के अनुभवों और छांव में मतवाला जी के मिशन को आगे ले चलेंगे।
इस साल मैने बस्ती जिले में एक बृहद पुस्तक मेले ले आयोजन की रूपरेखा बनाई है। नवंबर माह में प्रस्तावित 7 दिनों के इस पुस्तक मेले का एक दिन आदरणीय स्वर्गीय सतेंद्र नाथ मतवाला जी के याद में साहित्यिक गतिविधि के नाम रहेगा।
अंत में बस इतना कहना चाहूंगा
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जगमग और मतवाला की जोड़ी ने
बस्ती में साहित्य का बीज बोया है
मतवाला के जाने पर
जगमग जी के साथ मिल पूरा जिला रोया है
मतवाला जी की जगह कोई न ले पाएगा
अब होली पर्व में महामूर्ख कवि सम्मेलन कौन कराएगा
जगमग जी बोले है की होली का पर्व,
अब हर साल हंसाएगा नहीं,
बल्कि मतवाला की याद में रुलाएगा
मतवाला जी के साहित्य यात्रा को
अब विनोद उपाध्याय, जगमग जी के साथ मिल आगे बढ़ाएगा
बस्ती में अब हर कवि सम्मेलन में,
मतवाला याद आयेगा ।
🙏मतवाला जी को असीम अश्रुपूरित श्रद्धांजलि🙏
Brihaspati Kumar Pandey