कोई यूं ही आत्महत्या नहीं करता अपने निजी फैसले से टूट चुके थे अकरम

बस्ती। 21 सितंबर अकरम का खुद आत्महत्या करना वास्तव में एक अनहोनी घटना है दोस्तों से मिले धोखे ने उन्हें चूर-चूर कर दिया था साथ ही अपने निजी फैसलो ने अपनों के रिश्तों में खटास पैदा कर थी खैर ट्रस्ट के पूर्व मुतवल्ली,बीजेपी नेता व स्कूल प्रबंधक अकरम खान के मौत की पुलिस कई एंगिल से जांच में जुटी है। तीन चिकित्सकों के पैनल की ओर दिए गए पीएम रिपोर्ट में मौत की वजह क्लोज गन शॉट बताया गया है। बेगम खैर ट्रस्ट के पैड पर बकायदे एक पेज लंबा सुसाइड नोट लिखा पुलिस ने रिकवर किया है। 19 सितंबर की तारीख में लिखे सुसाइड नोट में प्रभारी निरीक्षक कोतवाली को संबोधित किया है। अपनी मौत को लेकर घर वालों निर्दोष बताकर उनको परेशान नहीं करने की बात लिखी है। मित्रों की ओर से हो रही उपेक्षा, दिल्ली के एक शख्स से रूपए के मामले धोखा पाने का जिक्र और उसका मोबाइल नंबर भी पत्र में लिखा है, परिवार की बात नहीं मान कर व्यक्तिगत जीवन से जुड़े फैसले लेने के लिए खुद को ही जिम्मेदार मानने की बात सुसाइड नोट में बयां की है। बड़ी मात्रा में अपने करीबियों से रुपये लेने की भी चर्चा लोगों से सुनी जा रही है
खैर ट्रस्ट में अपने करीबियों को किसी न किसी रूप में फायदा दिलाने के नाम पर बड़ी मात्रा रुपये लेने की भी बात शहर में चर्चा का विषय बनी हुई। उनके शुभचिंतक इस मामले में कुछ भी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। उनके जानने वालों का कहना है उन्होंने कई लोगों से रूपये ले रखे थे। कुछ बेहद करीबी लोग जो उनके साथ हर वक्त साए की तरह रहते थे वह लोग घटना के बाद से अपने को अंडरग्राउंड कर रखें हैं।

सुसाइड नोट का अंतिम शब्द था ‘जयहिंद’
अकरम खान के सुसाइड नोट का संबोधन प्रभारी निरीक्षक कोतवाली बस्ती के नाम से है। डिप्रेशन में आने की कई वजहों के जिक्र करने बाद उन्होंने सबसे आखिर में जयहिंद शब्द का प्रयोग किया है। आत्महत्या के पत्र में लिखी बातें यह साबित करतीं हैं कि उन्हें अपनी जीवन लीला को समाप्त करने का निर्णय पहले से ले रखा था जिसका अंजाम मंगलवार को आया। लेकिन इतना तो कहा जा सकता है कि अकरम सभी से बहुत प्रेम से मिलते थे साथ ही साथ सामाजिक कार्यों में वह भाग लेते थे लोग यह सब चर्चा तो कर रहे हैं लेकिन यह नहीं देख रहे हैं कि जब भूकंप आया था तो अकरम एक ऐसे शख्स थे जो ट्रक से सामान लाद कर नेपाल तक गए थे और नेपाल में वह सम्मानित भी हुए थे उनमें अच्छाइयां भी बहुत थी ऐसे शख्स का जाना बहुत ही दुखद है।

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