पेरियार ई. वी. रामासामी नायकर की है आज जयंती।
अपनी धरती मां लगती है, देखो अति रसवन्ती।
सभी क्षेत्रों में बहुजन को उनका हक दिलवाया।
आर्य, ब्राह्मणों की अनीति से हमको मुक्त कराया।
बहुजन चिंतक परंपरा के थे प्रकाश स्तंभ।
वह महान थे उनके भीतर तनिक नहीं था दम्भ।
ऊंच नीच का भेद मिटाकर समरसता ले आए।
नागम्मई से शादी करके पति का धर्म निभाए।
तार्किक पद्धति से चिंतन कर किया सत्य का बोध।
कर्मठता से दूर कर दिया पथ का हर अवरोध।
जो समाज की थी कुरीतियां उसका किया विनाश।
अस्पृश्य मित्रों को अपने रखते थे वे पास।
दलित जातियों की उन्नति हित अद्भुत किया प्रयास।
वेल्लोर के अस्पताल में ले ली अंतिम सांस।
पेरियार जी महापुरुष थे, सच के थे अन्वेषी।
उनकी महिमा के गुन गाते, कितने आज विदेशी।
उनका पूरा जीवन दर्शन है लंबा इतिहास।
दलितों के जीवन में लाये वह मधुमय मधुमास।
अपनी प्रतिभा के बल पर वह भारत के सुकरात कहाये।
मानवता की भाव भूमि पर वह अपना सर्वस्व लुटाये।
आज जयंती पेरियार की, हम सब लोग मनाते।
उनके श्री चरणों में ’वर्मा’, श्रद्धा सुमन चढा़ते।
डा0 वी0 के0 वर्मा
आयुष चिकित्साधिकारी, जिला चिकित्सालय-बस्ती