मोशन में मोटिवेशनल टॉक शो जीवन में नंबर मायने नहीं रखते, हमारा सीखा ही काम आता

 

 

कथावाचक और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने कहा कि नंबर मायने नहीं रखते। जिंदगी सीखने का नाम है और जीवन में हमारा सीखा ही काम आता है।

वे मोशन एजुकेशन के द्रोणा कैम्पस में मोटिवेशनल टॉक शो के दौरान कोचिंग विद्यार्थियों को संबोधित कर रहीं थी। जया किशोरी ने कहा कि विनर बनने के लिए स्वस्थ रहें। इसके लिए फिजिकल एक्टिविटी, सात्विक खाना और अच्छे विचार जरूरी हैं। अध्यात्म की ओर जाएं। प्रकृति, डिवाइन पावर से कनेक्ट हों। ईश्वर पर भरोसा रखे। इससे आपको ऊर्जा मिलेगी। जोश मिलेगा, होश मिलेगा। नेम, फेम में जीत नहीं है। अपना कर्म करो, मेहनत करो, परिणाम अच्छा ही आएगा।

कार्यक्रम की शुरुआत में मोशन एजुकेशन के चेयरमैन सुरेंद्र विजय, डायरेक्टर सुशीला विजय और डॉ. स्वाति विजय ने जया किशोरी का स्वागत किया। सवाल बच्चों की ओर मोशन के फाउंडर और सीईओ नितिन विजय ने पूछे। समारोह में पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी और अतिरिक्त जिला कलक्टर राजकुमार सिंह भी मौजूद थे।

जयाकिशोरी कोचिंग स्टूडेंटस के साथ रूबरू हुई और छात्र-छात्राओं के सवालों के जवाब दिए। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

-पढ़ाई का स्ट्रेस कैसे मैनेज करें?
जवाब- स्ट्रेस तब आता है जब आप कर्म नही सिर्फ दूसरों से तुलना करते हैं या आप जो कर रहे हैं, करना नहीं चाहते। आप अपनी किसी से तुलना नहीं करें और अपना बेस्ट ट्राई करें। स्ट्रगल तो आपको करना पड़ेगा, पहले करो या बाद में। इसलिए यह मानते हुए पढाई करें कि आज पढ़ाई कर ली तो आगे का जीवन आसान होगा और आज मजे किए तो कल आप अपनी जिंदगी में संघर्ष कर रहे होंगे। जीवन में बैलेंस बनाकर चलो।

-अपोजिट जेंडर से अट्रैक्शन में संयम कैसे रखें ?
जवाब- यह नेचुरल है। सबको कोई न कोई अच्छा लगता है। लेकिन आप मन के गुलाम ना बनें। अभी प्रायोरिटी पढ़ाई है।

– शिक्षक को किन बातों से बचना चाहिए ?

जवाब-शिक्षक बच्चों के जीवन में अहम स्थान रखते हैं। बच्चा सवाल करें तो झुंझलाएं नहीं। आप विषय विशेषज्ञ हैं, आपके लिए वह आसान है। बच्चे के लिए यह नया है। एक बच्चा नहीं, हर बच्चा खास है। हर बच्चा अलग है। उसे रेट रेस में ना दौड़ाएं। बच्चा पढ़ाई करे, मेहनत करे- यह सिखाएं। प्रशंसा सबसे अच्छी मोटिवेशन है।

-पेरेंट्स का क्या रोल है ?

जवाब- बच्चों को इम्पोर्टेन्ट फील कराएं। दोस्त बनकर पेरेंटिंग की जाए। होता यह है कि पेरेंट्स कहते हैं कि वे बच्चों के दोस्त है लेकिन जैसे ही कोई बात ऐसी पता लगती है जो उनके हिसाब से सही नहीं है तो वे अचानक दोस्त से पेरेंट बन जाते हैं। आपका यह रवैया रहा तो अगली बार बच्चा चुप हो जाएगा। बच्चों को गलतियों से सीखने दें। उन्हें इतना काबिल बनाएं कि वे तब भी अच्छी तरह रह सकें जब आप न हो।

– सलेक्ट नहीं हुआ तो मम्मी-पापा को फेस कैसे करूंगा ?

जवाब- अगर सलेक्ट नहीं हुए तो आप उनके पास जाकर मान लेना कि पूरी कोशिश के बाद भी में नहीं कर पाया। क्या कहेंगे, डांटेंगे। सुन लेना। वे आपके मम्मी पापा ही हैं। इस पूरी दुनिया मे आपको उनसे ज्यादा कोई प्यार नही करता है। उनके लिए आपकी सक्सेस जरूरी है पर उनके लिए आप उससे भी जरूरी हो। आप चाहते हैं वे आपको समझे तो आप भी उनको समझें।

– गुस्से में कुछ बोल जाते हैं, बाद में पछताते हैं, इससे कैसे बचें?

जवाब- एंगर मैनेजमेंट घर से शुरू होता है। जो आपके अपने हैं, उनके सामने सोच समझ के बोलिए। एंगर मैनेजमेंट का पहला तरीका है अध्यात्म। जब आप अध्यात्म से जुड़ते हैं तो शांत होते हैं, खुद पर कंट्रोल आता है। दूसरा तरीका है जब भी आपको लगे आप इमोशन बैलेंस में नहीं हैं, तब बात मत करिए। मेरी इमोशन बैलेंस नहीं रहती हैं तो मैं दो-तीन घंटे बात नहीं करती हूं।

खुश कैसे रहें ?

जवाब- आपके पास जो-जो है, वो किसी और की जिंदगी का सपना हो सकता है। इसलिए जो मिला है उस पर ध्यान दीजिए तो आप अपने आप खुश हो जाएंगे। जिंदगी के 80 परसेंट दुख इसीलिए हैं कि जो है, उस पर ध्यान नहीं है और जो नहीं है उस पर फोकस है। यह फोकस बदल लीजिए बस।

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