गोस्वामी श्रीतुलसीदास जी की जयन्ती पर विशेष श्रीराम साहित्य के सन्दर्भ में गोस्वामी जी के बाद डॉ0 स्वामीनाथ जी का साहित्यिक अवदान स्तुत्य

 

अयोध्या। विचारगम्यता और साहित्यिक धूनी में सिद्ध सारस्वत प्रतिभा के धनी डॉ0 स्वामीनाथ पाण्डेय ने अपना सम्पूर्ण जीवन श्रीराम और हिन्दी साहित्य को समर्पित कर दिया। दक्षिणपंथी विचारधारा से परिपाक धूप-अगरबत्ती, कण्ठी, तिलक, माला व दिखावा से दूर अमीर खुसरो की ब्रजभाषाई सूफीयाना अन्दाज ”छाप तिलक सब छीनी रे, मो से नैना मिलाई के“ भक्ति की उस पराकाष्ठा को पार कर देता है, जहाँ सधे योगियों को भी वह आनन्द नहीं आता, जितना उनके द्वारा रचित दर्जनों साहित्य से प्रस्फुटित होता है। बंगाली लिबास धोती, कुर्ता में मदमस्त विद्वान को चौराहे पर अक्सर पहचान वाले मिलते और अभिवादन, शिष्टाचार और संवाद से गम्भीरता और व्यंग्यता आ ही जाती थी। डॉ0 पाण्डेय जी की अँगरेजी में लिखित गोस्वामी तुलसीदास: हिज लाइफ एण्ड वर्क्स में उन्होंने गोस्वामी जी का जन्मस्थान गोण्डा का वराह क्षेत्र न होकर चित्रकूट के राजापुर को सिद्ध किया। इसमें सबसे बड़ी स्मरणीय तथ्य यह है कि गोस्वामी जी जैसे रामभक्ति धारा के महत्त्वपूर्ण संत के जन्मस्थान में उन्होंने सैकड़ों उद्धरण व प्रमाण दिया है, जो जिज्ञासुओं के लिए वरदान है।
वैसे तो अयोध्या में मध्यकाल के आध्यात्मिक क्रान्ति के प्रणेता, महाकवि, हिन्दूधर्माेद्धारक परमपूज्य गोस्वामी श्रीतुलसीदास जी महाराज को भावात्मक श्रद्धांजलि देने की परम्परागत शैली रही है; इसके इतर गृहस्थ परिवार में होते हुए अपने उच्चादर्शों एवं समर्पण भाव से तुलसी साहित्य को शोधपरक रचनाधर्मिता से समृद्धि करने वाले स्मृतिशेष डॉ. स्वामीनाथ पाण्डेय जी की कालजयी रचनायें ”जब तक श्रीराम हैं, तब तक“ उनको सारस्वत श्रद्धांजलि प्रदान करती रहेगी। वरिष्ठ समाजसेवी व कलमकार उत्तम पाण्डेय ने गोस्वामी तुलसीदास एवं डॉ0 स्वामीनाथ पाण्डेय जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि- ”मुझे यह सौभाग्य मिला कि गुरुवर्य श्री पाण्डेय जी की रचनायें जिनमें-तुलसीसुधाबिन्दुशतकम् (संस्कृत), दोहावली शतकम् (संस्कृत), गोस्वामी तुलसीदास: हिज लाइफ एण्ड वर्क्स (अँगरेज़ी), आदि का मुद्रण कार्य करने का गौरवपूर्ण अवसर मिला। इसके अतिरिक्त श्रीराम साहित्य पर गोस्वामी जी की विश्वप्रसिद्ध रचना श्रीरामचरितमानस की प्रथम टीका (पूज्य श्रीरामचरणदास जी महाराज ”करुणासिन्धु“ जी विरचित) प्रथम प्रकाशन अवध अखबार लखनऊ सन् 1800 का) बड़ास्थान, जानकीघाट के रसिकपीठाधीश्वर श्रीमहान्त जन्मेजयशरण जी महाराज से माध्यम से कार्य करने का सुअसवर मिला। श्री पाण्डेय ने तुलसी जयन्ती पर सभी नगरवासियों, पूज्य सन्त, धर्माचार्यों को हार्दिक बधाई दी।

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