भरत और राम का भ्रातृत्व प्रेम कलयुग में हो जाए तो कलयुग हो रामराज्य – श्रीधराचार्य जी महाराज

 

 

अयोध्या 22अगस्त श्री खंडेलवाल वैश्य निष्काम सेवा समिति द्वारा आयोजित श्री राम कथा के पंचम दिवस में जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री धराचार्य जी महाराज श्री राम कथा का विस्तार करते हुए कहां भगवान श्री राम के वन जाने के बाद सभी अयोध्या वासियों की स्थिति दयनीय हो सभी अयोध्यावासी प्रभु राम के वियोग मैं रुदन करने लगे श्री राम केवट की नाव में बैठकर नदी पार की और वन की ओर प्रस्थान किए सुमंत जी अयोध्या वापस लौट कर आते हैं महाराज दशरथ से सभी समाचार बताते हैं महाराज दशरथ पुत्र वियोग में रुदन करने लगते हैं जिस अयोध्या में प्रतिदिन उत्सव का आयोजन होता था आज वही अयोध्या भगवान राम एवं मा सीता श्री जी के जाने से श्री रुग्ण हो गई ना कहीं कोई उत्सव मनाया जा रहा है नाही पकवान बनाए जा रहे हैं सभी अयोध्या वासियों के नेत्रों से अश्रु धारा प्रवाहित हो रही है प्राणों से प्रिय पुत्र राम के वियोग में महाराज दशरथ तड़प ते हुए कौशल्या जी को बताते हैं देवी मेरे पूर्व साप के कारण मेरा अंतिम समय सन्निकट है प्राणों से प्रिय राम के बिना मैं एक क्षण भी अब जीवित नहीं रह सकता मां कौशल्या रुदन करती है मां कौशल्या के देखते देखते दशरथ जी का परम पद हो गया अयोध्या पर आए इस असहनीय संकट को देखकर गुरु वशिष्ठ जी ने भरत को अयोध्या बुलाया है भरत जी जैसे ही अयोध्या आए इस असहनीय संकट को देख कर के दुखित हो गए अपनी मां के महल में गए केकई के चरणों में प्रणाम किया मां के कई की स्वार्थपूर्ण वाणी को सुनकर भरत जी दुखी हो जाते हैं और अपने को धिक्कारने लगते हैं भरत जी कहते हैं यदि मेरा जन्म ना होता तो पिताजी के प्राणों से प्रिय भाई राम को वन नहीं जाना पड़ता और ना पिताजी के प्राण जाते मैं भरत अभागा हूं जो इस अभागिनी केकई के पुत्र के रुप में जन्म लिया हूं गुरू वशिष्ठ जी भरत को समझाते हैं और अयोध्या के राजसिंहासन पर बैठने की आज्ञा देते हैं भरत जी रुदन करने लगते हैं और प्राणों से प्रिय भाई श्री राम को मनाने के लिए भरत जी वन में जाते हैं भाई भरत और राम जी के जैसा भ्रातृत्व प्रेम इस घोर कलयुग में हो जाए तो इस कलयुग में भी रामराज्य आ जाएगा कथा का समय दोपहर 3:00 से 7:00 बजे तक है श्रद्धालु भक्तजन कथा में पधारकर अपने जीवन को धन्य करें।

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