सद्गुरु संतों की कृपा से मनुष्य का जीवन कर्म सफल हो जाता है – श्रीधराचार्य जी महाराज

 

अयोध्या lप्रसिद्ध पीठ श्री अशर्फी भवन में श्रावण झूलन महोत्सव के उपलक्ष में श्री खंडेलवाल वैश्य निष्काम सेवा समिति द्वारा आयोजित श्री राम कथा के द्वितीय दिवस में व्यास पीठ पर विराजमान जगतगुरु स्वामी श्री धराचार्य जी महाराज ने राम कथा का श्रवण कराते हुए कहां सर्वप्रथम चारों वेदों के सारभूत आदि काव्य के रूप में श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण की रचना हुई उसी महाकाव्य को बाबा तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के रूप में सरलता प्रदान किया सूर्यवंश के प्रतापी राजाओं की कथा का श्रवण कराया सूर्य वंश के प्रतापी राजा रघु जी महाराज की कथा का वर्णन करते हुए बताया दानवीर शूरवीर महाराज रघु ने अपनी संपूर्ण संपत्ति का दान ब्राह्मणों को कर दिया वह स्वयं झोपड़ी में रह करके भगवान का भजन करने लगे एक दिन गुरु जी द्वारा 60000 हजार स्वर्ण मुद्राएं अपने गुरु को भेंट करने हेतु याचना करने ऋषि कुमार जब अयोध्या नगरी में आए महाराज रघु के त्याग को देखकर ऋषि कुमार वापस होने लगे महाराज रघु ने तपस्वी ऋषि के संकल्प को पूर्ण करने हेतु धनपति कुबेर के ऊपर आक्रमण करने का संकल्प किया धनपति कुबेर ने घबराकर 60000स्वर्ण मुद्राएं लाकर रघु महाराज को दिया रघु जी ने ऋषि कुमार को मुद्रा अर्पण कर दिया महाराज अंबरीष जी के चरित्र का श्रवण कराते हुए महाराज श्री ने कहा महाराज अंबरीष जी बड़े ही तपस्वी और सूर्य वीर थे अपनी प्रजा की रक्षा हेतु अंबरीष जी तत्पर रहते थे एवं प्रजा के हित में निर्णय किया करते थे सूर्यवंश के राजा दिलीप की कथा का विस्तार करते हुए महाराज जी ने बताया राजा दिलीप बड़े ही प्रतापी सूर्यवीर दानवीर राजा थे एक बार की स्वर्ग से लौटते समय कामधेनु गौ माता का अज्ञानतावश अनाचार हो गया महाराज दिलीप के कोई संतान नहीं थी उन्होंनेवेद वेदांत के मर्मज्ञ ऋषि यों के आश्रमों में जाकर पुत्र प्राप्ति का उपाय पूछा वेद शास्त्रों के मर्मज्ञ ऋषि जनों ने दिलीप महाराज को कामधेनु की पुत्री नंदिनी की सेवा करनेका संकल्प दिलाया महाराज दिलीप में पत्नी सुदक्षिणा के साथ गौ माता की 21 दिन तक अनवरत सेवा की सेवा से प्रसन्न होकर नंदनी माने राजा दिलीप को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया सद्गुरु संतों की कृपा जब मनुष्य पर हो जाती है बुरे कर्मों में फंसे होने के बावजूद भी वाल्मीकि जी ने आदिकाव्य रामायण की रचना की सद्गुरु की कृपा से ही भक्ति मार्ग में चलना संभव है गुरु बिन भवनिधि तरही न कोई जो बिरंचि संकर सम होई जन्म जन्मांतरों के जब पुण्य उदय होते हैं तब भगवान श्री राम के जन्म भूमि अयोध्या में बैठकर श्री राम कथा श्रवण करने का लाभ प्राप्त होता है मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्म की कथा श्रवण कराते हुए महाराज जी ने कहा परमात्मा अपने को 4 रूपों में विभक्त करके इस पृथ्वी पर सप्तपूरियों में प्रतिष्ठित श्री अवध धाम में अवतरित होते हैं श्री खंडेलवाल वैश्य निष्काम सेवा समिति के सभी पधारे हुए भक्तों ने भगवान राम का जन्म महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया नृत्य किया अवध में आनंद भयो जय हो रघुवर लाल की आज गगन की चित्र पट्टी पर कुमकुम से लिखवाया है राम प्रभु का जन्म महोत्सव भक्तों ने मनाया है भजनों पर झूम कर नित्य किया गया बधाइयां वितरित की देश के विभिन्न प्रांतों से पधारे सभी राम भक्त कथा का श्रवण करके आनंदित हो गए कथा का समय दोपहर 3 बजे से शाम 7:00बजे तक है सभी धर्मप्रेमी भक्तजन कथा में पहुंचकर कथा श्रवण कर अपने जीवन को धन्य करें।

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