कृष्ण सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुन भाव विभोर हुए भक्त

क़ुदरहा, बस्ती। कुदरहा ब्लाक क्षेत्र के कुदरहा गांव मे चल रही सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिन अयोध्या धाम से  कथावाचक शिव मंगल वैदिक  महाराज ने सुदामा और कृष्ण के मैत्री पर बिस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि  श्री कृष्ण द्वारिकाधीश होते हुए भी सुदामा जी के साथ जो व्यवहार किया है वह सराहनीय है। सुदामा निर्धन अवश्य थे परंतु उनके हृदय में प्रेम और भक्ति की कोई कमी नहीं था। भगवान ने उन्हें अपना कर सच्ची मित्रता का परिचय दिया। प्रसंग सुन भक्तों के आंखों से आंसू छल आयी।
संसार के लोगों को इससे शिक्षा लेनी चाहिए। मित्रता क्या होती है आपत्ति काले अर्थात मित्र सुखी होते हुए भी दुखी मित्र का साथ ना छोड़े उसे सच्चा मित्र कहा जाता है। श्री महाराज जी ने कहा कि भगवान अपने भक्तों की परीक्षा तीन प्रकार के लेते हैं। प्रथम उसको निर्धन बनाकर, दूसरी परीक्षा उसके बंधु बांधव से भी बिछोह करा कर व तीसरी परीक्षा बहुत सी विपत्तियों को भक्तों के ऊपर डाल देते हैं। भक्त फिर भी अगर अपने भक्ति पर अडिग रहा तो भगवान उसको अंत समय अपने समान सम्माननीय पूजनीय और धनवान बना देते हैं। तुझे देते नहीं देखा मगर झोली भरी देखी।
       कार्यक्रम आयोजन कौशलेंद्र मणि ओझा, लल्लू ओझा, आचार्य कृष्णानंद मिश्र, डा शिवेंद्र ओझा, सत्येंद्र मणि ओझा, आनंद दुबे , अजय दुबे, महेश कुमार, भोला तिवारी, अभिनव, गौरव, मनीष कुमार, अथर्व सहित तमाम लोग मौजूद रहे।