वर्तमान सरकार कृषि और गोपालन को प्रोत्साहित कर रही हैं

बस्ती – गाय भारतीय कृषि और आम जनता के जीवन का आधार है। गौदूध के बिना आम जनजीवन कठिन हो जाता है। वर्तमान सरकार भी गौपालन के लिए प्रोत्साहन दे रही है ताकि लोगों को गौपालन में रुचि हो सके। श्री गौशाला कठार जंगल नगर कप्तानगंज रोड पर स्थित है जहां पर कसाइयों और गौतस्करों से छुड़ाई गईं बीमार और मरणासन्न गाएं अधिकारियों के द्वारा लाकर छोड़ दी जाती हैं जिनकी सेवा गौशाला के न्यासियों को माध्यम से कराई जाती है। इसी परिसर में समय माता का स्थान और हनुमान जी का मंदिर है जहां वर्तमान में एक तथाकथित साधु जो अपने आप को गिरिजेश दास बताते है, ने कथा करने के बहाने मंदिर पर अनाधिकृत कब्जा करना चाहते है। उनका आरोप है कि संस्था के न्यासी उन्हें यहां से भगाना चाहते हैं। इस विषय में न्यासी नंदीश्वर दत्त ओझा और ओम प्रकाश आर्य ने बताया कि वर्ष 1904 05 में संत विशेसरदास ने बांसी राजा रतन सिंह सिंह जी से गाटा संख्या 319 दान में प्राप्त कर गौशाला संस्था की स्थापना की अपने जीवन काल के अंतिम समय में उन्होंने गुरु शिष्य परंपरा को समाप्त करते हुए इस संस्था के प्रबंध संचालन हेतु वर्ष 1916 में एक पंजीकृत न्यास की स्थापना कर पांच न्यायासियों की नियुक्ति की तथा गौशाला परिसर में मंदिर का निर्माण किया कालांतर में उनकी मृत्यु के उपरांत इन्हीं न्यासियों द्वारा गौशाला संस्था एवं मंदिर का प्रबंध किया जाता रहा पंजीकृत विलेख के अनुसार मंदिर से प्राप्त आय को भी गायों के रक्षण संरक्षण हेतु व्यय करने का प्रावधान है किसी भी निवासी का पद रिक्त होने पर रजिस्टर्ड डीड के अनुसार शेष सन्यासियों द्वारा नए-न्यासी की नियुक्ति की जाती है दौरान चकबंदी रिकॉर्ड ऑपरेशन के बाद गाटा संख्या 319 से भिन्न-भिन्न गट संख्याएं बनाई गई संस्था की परिसीमाए सीमन अंकित हैं और पत्थर भी नसब है इन्हीं परिसीमाओं के अंतर्गत ही उक्त मंदिर स्थित है गौशाला संस्था का स्वामित्व निर्विवाद है 15 दिन पूर्व एक साधु वेश धारी द्वारा गौशाला प्रांगण में कथा करने की अनुमति मांगी गई भोजन विश्राम की व्यवस्था हेतु मांगने पर मंदिर का परिषद भी उपलब्ध करा दिया गया कथा के समापन के उपरांत बाबा द्वारा मंदिर का प्रांगण रिक्त करने से इनकार कर दिया गया और स्वयं को जनता द्वारा मनोनीत सर्वराकर घोषित कर दिया इन बाबा को गौशाला विरोधी पड़ोसियों की सह प्राप्त है गौशाला संस्था से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पोखरा बाजार के राम जानकी मंदिर के यह कथित पोखरा सरकार है और स्वयं को महंत गिरिजेश दास महाराज उर्फ पोखरा सरकार कहते हैं इनके द्वारा गौशाला को गौ रहित कर संस्था की समूची भूमि पर कब्जा करने की योजना है तब जबकि उक्त संस्था जीव जंतु कल्याण बोर्ड भारत सरकार से अनुदानित और मान्यता प्राप्त तथा उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग में पंजीकृत है। ऐसे संस्था के पदाधिकारी ने प्रशासनिक उच्च अधिकारियों से गौशाला की सुरक्षा की और अनधिकृत रूप से कब्जे का प्रयास करने वाले साधु गिरिजेश दास की बेदखली के लिए गुहार लगाई है। अब देखना है कि प्रशासन इस गुत्थी को कैसे सुलझाता है।