*गायत्री साधकों की परीक्षा*आचार्य सुरेश जोशी

🪔 🪔ओ३म् 🪔🪔
*गायत्री साधकों की परीक्षा*
आर्यावर्त्त साधन सदन में चल रही *पावन गायत्री कथा की मासिक कक्षाएं* समाप्त हो गयीं हैं। *परीक्षा का बिगुल बज चुका* है। आज दिनांक २९/६/३०२५ को *सायंकाल पांच बजे* परीक्षा होगी।परीक्षा पत्र की *प्रश्नोत्तरी की कापी* सभी परीक्षार्थियों को भेजी जा चुकी है जिससे वो अच्छी तरह उत्तरों को याद कर ले।इस परीक्षा का उद्देश्य योग्यता जांचना नहीं हझ।केवल *अध्यात्म जैंसे कठिन विषय में लोगों की रुचि* पैंदा करने का मनोवैज्ञानिक तरीका है। हमारा उद्देश्य *अ़धविश्वास,पाखंड,रुढ़िवाद,अवतारवाद,गुरुडमवाद,जातिवाद,व मत-मतांतरों में फंसे व उलझे हिंदुओं को सत्य-सनातन वैदिक धर्म* की ओर लाना है। एक माह तक सभी गायत्री साधकों ने गायत्री कथा को भयंकर गर्मी को सहन करते हुए अपने तपस्वी होने का प्रमाण दिया है अब उसी की परीक्षा की घड़ी आ चुकी है।सभी *साधक/साधिकायें* परीक्षा देने को उत्साहित हैं।
🌹 *गायत्री प्रश्नोत्तरी*🌹
🪷 *प्रश्न+उत्तर [१]*🪷
चार वेद और ओर उनके ऋषियों के नाम क्या हैं?
ऋग्वेद-अग्नि ऋषि।यजुर्वेद-वायु ऋषि।सामवेद- आदित्य ऋषि।अथर्वेद-अंगिरा ऋषि।
🪷 *प्रश्न+उत्तर [२]*🪷
गायत्री मंत्र एवं उसका पदार्थ बताओ?
ओ३म् भूर्भुव: स्व:।तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि।धियो यो न: प्रचोदयात्।।
यजुर्वेद अ० ३६/३
ओ३म्= सर्वरक्षक परमात्मा, भू:= प्राणों का भी प्राण, भुव:= दु:खहर्ता, स्व:= सुख स्वरुप, सवितु: = सकल जगत का उत्पादक, देवस्य = दिव्य गुणों से युक्त, कामना करने के योग्य, वरेण्यं = ध्यान करने के योग्य , भर्ग:= पवित्र शुद्धस्वरुप है। तत्= उसको हम लोग , धीमहि= धारण करें, यो: = जो परमात्मा न: = हमारी, धिय:= बुद्धियों को , प्रचोदयात् = धर्म मार्ग में प्रेरित करे।
🪷 *प्रश्न+उत्तर-३*🪷
चारों वेदों में कुल कितने मंत्र हैं व गायत्री मंत्र किस वेद का है?

चारों वेदों में कुल २०,४१४ मंत्र हैं।गायत्री मंत्र यजुर्वेद के अध्याय ३६ का ३ मंत्र हहै।
🪷 *प्रश्न+उत्तर-४*🪷
आत्मा व परमात्मा का निवास स्थान कहां है?

आत्मा व परमात्मा हृदय में निवास करते हैं।
🪷 *प्रश्न+उत्तर-५🪷*
गायत्री मंत्र के ध्यान का प्रयोग करके दिखायें?

[१] संकल्प-
(क) हे ईश्वर अब हम आपका ध्यान करने जा रहे हैं।
(ख) हे ईश्वर! अब हम अपने मन को अपने वश में रखेंगे!
*ध्यान के ६ वाक्य*
(१) हे ईश्वर !आप एक हैं।
(२) हे ईश्वर! आप सर्वव्यापक हैं।
(३) हे ईश्वर ! आप चेतन हैं।
(४) हे ईश्वर!आप निराकार हैं।
(५) हे ईश्वर! आप न्यायकारी हैं।
(६) हे ईश्वर आप आनंद स्वरुप हैं।
अब ध्यान करते हैं।
(१) ओ३म् भूर्भुव: स्व:
(२) तत्सवितुर्वरेण्यं।
(३) भर्गो देवस्य धीमहि।
(४) धियो यो न: प्रचोदयात्।

तूने हमें उत्पन्न किया, पालन कर रहा हे तू।।
तुझसे ही पाते प्राण हम, दुखियों के कष्ट हरता है तू।। तेरा महान तेज है छाया हुआ सभी स्थान। सृष्टि की वस्तु-वस्तु में तु हो रहा है विद्यमान।।
🪷 *प्रश्न +उत्तर-६*🪷
ध्यान की तैयारी के छ: वाक्य बताओ?

(१) ईश्वर एक है।
(२) ईश्वर सर्वव्यापक है।
(३) ईश्वर चेतन है।
(४) ईश्वर निराकार है।
(५) ईश्वर न्यायकारी है।
(६) ईश्वर आनंद स्वरुप है।
*🪷प्रश्न +उत्तर-७*🪷
ईश्वर के मुख्य पांच कार्य क्या हैं?
(१) ईश्वर सृष्टि की रचना करता है।
(२) ईश्वर सृष्टि का पालन करता है।
(३) ईश्वर सृष्टि का प्रलय करता है।
(४) ईश्वर वेद का ज्ञान देता है।
(५) ईश्वर न्यायपूर्वक समस्त जीवात्माओं को कर्म फल के रुप में सुख दुख ,पुनर्जन्म व मोक्ष का आनंद देता है।
*🪷प्रश्न +उत्तर -८*🪷
ईश्वर व जीवों के पांच संबंध कौन-कौन हैं!
(१) ईश्वर हमारी माता है।
(२) ईश्वर हमारा पिता है।
(३) ईश्वर हमारा आचार्य है।
(४) ईश्वर हमारा राजा है।
(५) ईश्वर व्यापक व जीव व्याप्य है।
*🪷प्रश्न +उत्तर -९*🪷
ईश्वर चेतन है ।समझायें?
चेतन का अर्थ ज्ञानवान होता है।ईश्वर जानता है ब्रह्माण्ड में कितने जीवात्मा है।ईश्वर जानता कोन जीवात्मा कब,कहां क्या कर रहा है।
*🪷प्रश्न +उत्तर -१०*🪷
न्याय के सात (७) नियम क्या हैं?
(१) अच्छे कर्म का अच्छा फल।
(२) बुरे कर्म का बुरा फल।
(३) जिसका कर्म उसी को फल।
(४) पहले कर्म बाद में फल।
(५) कर्म नहीं तो फल भी नहीं।
(६) कर्म फल माफ नहीं होता।
(७) कर्म फल ईश्वर देता है।
*🪷 प्रश्न +उत्तर-११*🪷
सुख -दुख व कर्म फल के नियम क्या हैं?
जीवात्मा अच्छे कर्म करता है तो सुख मिलता है।बुरे कर्म करता है तो बुरा फल मिलता है।कर्म करने में जीव स्वतंत्र है मगर फल पाने में परतंत्र है।
*🪷प्रश्न +उत्तर-१२*🪷
हनुमान जी की धर्म पत्नी व पुत्र का नाम बताओ!
धर्मपत्नी का नाम *माता पद्मनाभा* व पुत्र का नाम *मकरध्वज* था।
*🪷प्रश्न+उत्तर-१३*🪷
माता शबरी किस ऋषि के आश्रम में रहती थी?
माता शबरी *मतंग ऋषि* के आश्रम में रहती थी।
🪷 *प्रश्न+उत्तर-१४*🪷
ईश्वर का नाम *ओ३म्* है किसने बताया और कहां बताया है!
ईश्वर का नाम स्वयं ईश्वर ने ही ओ३म् है ऐंसा बताया। यह नाम वेदों में बताया है।
*🪷प्रश्न+उत्तर १५*🪷
ईश्वर का नाम ईश्वर ने ही क्यों बताया?

क्योंकि नाम बताने वाला ईश्वर से पहले होना चाहिए और ईश्वर से बड़ा व अधिक ज्ञानवान होना चाहिए।ईश्वर से पहले कुछ भी नहीं था ओर ईश्वर से न कोई अधिक ज्ञानवान है नही बड़ा।इसलिए ईश्वर ने स्वयं ही अपना नाम वेदों में बताया।
*🪷 प्रश्न+उत्तर-१६*🪷
ईश्वर के ओ३म् नाम की पांच विशेषताएं क्या हैं?
(१) ओ३म् ईश्वर का मुख्य नाम है।
(२) ओ३म् ईश्वर का निज नाम है।
(३) ओ३म् ईश्वर का सर्वोत्तम नाम है।
(४) ईश्वर के ओ३म् नाम में सारे नाम आ जाते हैं।
(५) ओ३म् नाम गूंगा भी बोल सकता है।
*🪷प्रश्न +उत्तर -१७*🪷
भू शब्द के चार अर्थ बताओ?
(१) ईश्वर की सत्ता मेंसनातन है।
(२) ईश्वर प्राण प्रदाता है।
(३) ईश्वर प्राणों से भी प्रिय है।
(४) ईश्वर स्वयंभू है।
*🪷प्रश्न +उत्तर-१८*🪷
दु:ख की परिमभाषा व उसके प्रकार बताओ?
शरीर,वाणी व मन से जो पाप होते हैं उनका फल दुख है ये तीन प्रकार के होते हैं।
(१) शरीर से तीन पाप होते हैं। हिंसा,चोरी,व्यभिचार।
(२) वाणी से चार पाप होते हैं।झूठ,कठोर,निंदा,बकवास
(३) मन से तीन पाप होते हैं।द्वेष,परधन इच्छा, नास्तिकता।
*🪷प्रश्न +उत्तर-१९*🪷
सुख की परिभाषा व उसके प्रकार बताओ?
शरीर ,वाणी, मन से होने वाले पुण्य कर्मों का फल सुख कहलाता है।
(१)शरीर से होने वाले तीन पुण्य ।अहिंसा,दान,सेवा।
(२) वाणी से होने वाले चार पुण्य। सत्य,मधुर,शुद्ध,हितकारी।
मन से होने वाले तीन पुण्य। अस्पृहा,दया,आस्तिकता।
*🪷प्रश्न +उत्तर-२०*🪷
ईश्वर के चार अटल नियम क्या हैं?
(१)ईश्वर अपनी ओर से किसी को दु:ख नहीं देता।
(२) ईश्वर अपनी ओर से किसी को सुख नहीं देतख।
(३) ईश्वर प्रसन्न नहीं होता।
(४) ईश्वर कर्म फल के रुप में सुख,दु:ख,पुनर्जन्म व मोक्ष देता है।
*🪷प्रश्न +उत्तर-२१*🪷
त्रि-संताप कौन हैं एवं आधिदैविक दु:ख क्या है?
त्रि संताप हैं (१) आध्यात्मिक दु:ख।(२) आधिभौतिख दुख।(३) आधिदैविक दुख।
भूकंप,बाढ़,अकाल,महामारी,बिजली गिरना आधिदैविक दुख है।
*🪷प्रश्न +उत्तर-२२*🪷
सांसारिक सुख व ईश्वर के सुख में कितने प्रकार का अंतर है।
सांसारिक सुख व ईश्वर के सुख में पांच प्रकार का अंतर है।
(१) सांसारिक सुख क्षणिक होता है उससे कभी तृप्ति नहीं होती।ईश्वरीय आनंद शाश्वत होतख है उसमें पूर्ण तृप्ति होती है।
(२) सांसारिक सुख में चार प्रकार का दुख मिला रहता है जबकि ईश्वर का आनंद १००% शुद्ध होता है।
(३) सांसारिक सुख मानव को इंद्रियों का गुलाम बनाता है जबकि ईश्वर का आनंद इंद्रियों का स्वामी बनाता है।
(४) सासारिक सुख छल-कपट से युक्त है जबकि ईश्वरीय आनंद छल कपट रहित है।
(५) सांसारिक सुख में बार-बार जन्म लेना पड़ता है।जबकि ईश्वरीय आनंद में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
🪷 *प्रश्न+उत्तर-२३*🪷
संसार के सुखों में छिपे चार प्रकार के दु:खों के नाम बताओ?
(१)परिणाम दुख (२) ताप दुख (३) संस्कार दुख।(४) गुण वृत्ति निरोध दुख
*🪷 प्रश्न+उत्तर-२४*🪷
मानव के तीन मुख्य गुरु कौन हैं?
(१) मातुश्री (२) पिताश्री (३) आचार्य श्री
*🪷प्रश्न+उत्तर-२५*🪷
ईश्वर के ध्यान के पांच नियम क्या हैं?
(१) मंत्र का शुद्ध उच्चारण (२) अर्थ का ज्ञान (३) अर्थ पर विचार करना (४) अर्थ के अनुसार आचरण (५) ईश्वर का साक्षात्कार
🪷 *प्रश्न +उत्तर-२६*🪷
सविता शब्द के चार अर्थ क्या हैं?
(१) ज्ञान का प्रकाश (२) उत्पादक (३) प्रेरणा करना (४) जगाने वाला
*🪷प्रश्न+उत्तर-२७*🪷
संसार को किसने बनाया?किससे बनाया? और किसके लिए बनाया?
संसार को ईश्वर ने बनाया।प्रकृति से बनाया।जीवों के कल्याण के लिए बनाया।
*🪷प्रश्न +उत्तर-२८*🪷
संसार को बनाने का प्रयोजन क्या है?
संसार को बनाने के मुख्य दो प्रयोजन हैं।(१) पूर्वजन्म के कर्मों का भोग! (२) नये कर्मों से मोक्ष।
*🪷प्रश्न +उत्तर-२९*🪷
भर्ग:शब्द के तीन अर्थ क्या हैं?
(१) पवित्र (२) भुना हुआ (३) शुद्ध स्वरुप

*🪷प्रश्न +उत्तर-३०*🪷
आठ प्रकार की बुद्धि के नाम बताओ?
(१) बुद्धि (२) सद्बुद्धि (३) मेधा (४) सुमेधा (५) धारणा (६) प्रज्ञा (७) प्रतिभा (८) ऋतंभरा।
🍁 *विशेष सूचना*🍁
कुल पूर्णांक *तीन सौ नंबर* का होगा।प्रश्न संख्या दो और पांच *२०-२०* नौबर के और सभी प्रश्न *१० नंबर* के हैं।
*आचार्य सुरेश जोशी*