महेन्द्र कुमार उपाध्याय
अयोध्या।सरयू माँ सबका कष्ट हर लेती हैं। सभी को पाप मुक्त कर निर्मल बना देती हैं। ऐसी पावन सरयू माँ के छठ महोत्सव पर समूचा सरयू तट आनंद और उल्लास में डूबा रहा। सहस्रधारा घाट से लेकर संत तुलसी दास घाट का करीब दो किलोमीटर का क्षेत्र महोत्सव की भव्यता का गवाह बना। सरयू माँ कादर्शन-पूजन, अभिषेक और महाआरती का निरंतर प्रवाह शाम से लेकर देर रात तक चला।राजनीति से परे, धर्म के बंधन से मुक्त समाज के हर वर्ग के करीब 1 लाख भक्त इस भव्यता के गवाह बने।भीषण गर्मी के बावजूद सरयू मैया का दर्शन कर उनका प्रसाद पाने की होड़ मची रही। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के घेरे में भक्तों का रेला सोमवार को सरयू स्नान के साथ ही आरंभ हो गया था।श्री साकेतपूरी माँ सरयू नित्य आरती सेवा समिति का इस साल 13 वां सरयू जयंती महोत्सव 11 जून से आरंभ होकर 16 जून तक चला। इस छठ महोत्सव में पर साधु संतों ने सरयू माँ का पूजन कर उनका सवा कुंटल दूध से अभिषेक किया और चुनरी चढ़ाई। न केवल सरयू मैया की मूर्ति बल्कि पूरे स्नानघाट को चंपा, चमेली, गुलाब और गेंदा के साथ रजनीगंधा आदि फूलों से भव्य रूप से सजाया गया। सायं काल 5100 बत्ती से सरयू की महाआरती आरंभ हुई जो करीब 30 मिनट तक चली।आयोजन समिति के अध्यक्ष कृष्ण मुरारी पाण्डेय ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया।सरयू छठ महोत्सव पर कच्चा घाट पर पारंपरिक विधि-विधान से पूजन-अर्चन और भव्य झांकी के माध्यम से माँ सरयू के छठ महोत्सव का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक आयोजन का शुरुआत 49 वर्ष पूर्व स्वर्गीय अंजनेय नंदन शरण महाराज ने की थी, जिसकी परंपरा आज भी उसी श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ निभाई गई।वर्तमान में इस आयोजन की कमान कृष्ण मुरारी पाण्डेय संभाल रहे हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि महाराज जी के द्वारा शुरू की गई आरती और जन्मोत्सव एवं छठ महोत्सव की परंपरा आज भी ज्यों की त्यों जीवित है। हम सभी उनकी स्मृति को प्रणाम करते हुए इस आयोजन को आगे बढ़ा रहे हैं।इस मौके पर घाट पर भव्य झांकियों के साथ माँ सरयू की महाआरती की गई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। उपस्थित अतिथियों और श्रद्धालुओं का अंगवस्त्र और पुष्पमालाओं से स्वागत किया गया।अयोध्या के संत तुलसीदास घाट (कच्चा घाट) पर आयोजित माँ सरयू जन्मोत्सव से लेकर छठ महोत्सव तक का भव्य आयोजन इस वर्ष भी अपार श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ सम्पन्न हुआ। विगत 49 वर्षों से चली आ रही इस पवित्र परंपरा ने इस वर्ष एक नया अध्याय रचा,जब 5100 दीपों की महाआरती ने सरयू तट को अद्वितीय दिव्यता और आस्था की आभा से आलोकित कर दिया।महाआरती के मुख्य आयोजक कृष्ण मुरारी पाण्डेय के नेतृत्व में यह आयोजन न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान रहा, बल्कि जनभागीदारी, संत-सम्मेलन, और सामूहिक आध्यात्मिक ऊर्जा का भव्य प्रतीक बन गया। श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति में पूरा सरयू तट गूंज उठा “जय माँ सरयू” के उद्घोषों से।कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण और कलश पूजन से हुई, जिसके पश्चात दीप प्रज्वलन, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ,महाआरती और अंत में विशाल भंडारे का अद्वितीय आयोजन हुआ। जिसमें लाखों श्रद्धालुओं और भक्तों ने प्रसाद ग्रहण कर अपने जीवन को धन्य किया।सरयू नदी में दीपों की माला जब बहती जलधारा के साथ प्रवाहित हुई, तो दृश्य ऐसा प्रतीत हुआ मानो स्वयं देवी सरयू भक्तों के बीच विराजमान हों।स्वर्गीय अंजनेय नंदन शरण महाराज जी के द्वारा प्रारंभ की गई इस दिव्य परंपरा को आज भी उन्हीं की प्रेरणा से जीवित रखा गया है।स्थानीय प्रशासन ने छठ महोत्सव और इसमें शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था की है।इस कार्यक्रम में अध्यक्ष:कृष्ण मुरारी पाण्डेय,उपाध्यक्ष:पवन गुप्ता,कोषाध्यक्ष:कल्लू पाण्डेय,महामंत्री:जगदीश प्रसाद दुबे,अाचार्य:संतोष वैदिक,सुशील चंद्र पाण्डेय,प्रवक्ता:शिवमंगल उपाध्याय,पुजारी:माता प्रसाद पाण्डेय, नीरज तिवारी,संरक्षक: अमन पाण्डेय,सुनील पाण्डेय,अमित पाण्डेय, फूल चंद्र कसौधन,दिलीप पाण्डेय,मीडिया प्रभारी: विश्वनाथ शुक्ला(रघुवीर),कार्यकर्ता:सोनू कसौधन(नव युवक अध्यक्ष),आलोक कुमार,राजू सिंह, आदर्श कुमार,संतोष सैनी,आकाश पाण्डेय,विकास पाण्डेय,विशाल पाण्डेय,सुमित पाण्डेय, मनोज कैटर्स आदि लोग शामिल रहें।