इनकी चीखों को अनदेखा कर देना मंजूर नहीं।

इनकी चीखों को अनदेखा
कर देना मंजूर नहीं।
तुम बेमौत मरोगे पलछिन
वह दिन भी अब दूर नहीं।।

दुश्मन ने फिर पहलगाम को
लहूलुहान कर डाला है,
भारत माता के बेटों को
मौत के घाट उतारा है,
हिंदू को चुन-चुन कर मारा
इससे बड़ा नासूर नहीं।
इनकी चीखों को अनदेखा
कर देना मंजूर नहीं।।

बिलख-बिलख कर देख रही जो
निज महबूब की लाशों को,
पल भर में श्रीहीन बनाया
मेहंदी वाले हाथों को,
उस विधवा की हाय लगी तो
तुम क्या होंगे चूर नहीं।
इनकी चीखों को अनदेखा
कर देना मंजूर नहीं।।

आतंकी के कुल का अब तो
हश्र भयानक होना है,
आँसू के बदले तुमको अब
बारूदों पर सोना है,
पाक खाक हो जाएगा
बच पाएगा मगरूर नहीं।
इनकी चीखों को अनदेखा
कर देना मंजूर नहीं।।

© प्रतिभा गुप्ता
खजनी, गोरखपुर