प्रतिभा गुप्ता जी की नई ग़ज़ल

तेरी मेरी बात बताती है कविता

दुनिया के हालात बताती है कविता

जज़्बातों से हृदय पिघलता जब यारों

आंखें रोयी रात बताती है कविता

कलम उठी तो शब्दों ने संवाद किया

मुखरित हो जज़्बात बताती है कविता

सच की खातिर विष भी जो पी लेता है

उसको ही सुकरात बताती है कविता

लालच में जब जंगल जीव जलाओगे

भुगतोगे आघात बताती है कविता

चोरी की कविता जो पढ़ते हैं एक दिन

क्या उनकी औकात बताती है कविता

रामायण गीता जैसे सब ग्रंथों में

नारायण साक्षात बताती है कविता

जिस पर तुमको इतना मद है वो जीवन

रब की दी सौगात बताती है कविता

जाति धर्म में उलझे लोगों को ‘प्रतिभा’

मानवता की जाति बताती है कविता

प्रतिभा गुप्ता

खजनी, गोरखपुर