लखनऊ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसी दिशा में प्रदेश सरकार के नियोजन विभाग द्वारा ‘आर्थिक विकास के सर्वोत्तम प्रयास: उत्तर प्रदेश के लिए आगे की राह’ विषय पर एक दिवसीय उच्चस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।इस कार्यशाला में नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश को विकसित भारत 2047 की परिकल्पना को साकार करने वाला प्रमुख राज्य बताते हुए कहा कि यह देश की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन बनने की पूरी क्षमता रखता है। वर्तमान में प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) ₹25.48 लाख करोड़ (310 अरब डॉलर) है और अगले वित्तीय वर्ष तक इसके ₹30 लाख करोड़ (380 अरब डॉलर) तक पहुंचने का अनुमान है। बीते दशक में राज्य की वार्षिक वृद्धि दर 10.8% दर्ज की गई, जो इसे देश के सबसे तेजी से विकसित हो रहे राज्यों में शामिल करता है।डॉ. कुमार ने उत्तर प्रदेश की जनसंख्या संरचना और कृषि क्षेत्र को इसकी सबसे बड़ी ताकत बताया। उन्होंने कहा कि राज्य में 56% युवा कार्यबल है और इसका कृषि क्षेत्र 25% से अधिक का आर्थिक योगदान देता है। गेहूं, गन्ना और आलू उत्पादन में प्रदेश अग्रणी है, लेकिन अन्य विकसित राज्यों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए उत्पादकता वृद्धि और आधुनिकीकरण की आवश्यकता है।उन्होंने सुझाव दिया कि उत्तर प्रदेश में जिलों को आर्थिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए और निर्यात आधारित रणनीतियों को मजबूत किया जाना चाहिए। उन्होंने ‘बॉटम-अप अप्रोच’ पर जोर देते हुए कहा कि किसानों और स्थानीय उत्पादकों से सीधा संवाद स्थापित कर नीतियों का निर्माण करने से राज्य की छिपी आर्थिक संभावनाएं उजागर हो सकती हैं। इसके लिए स्थानीय डेटा प्रणाली को सुदृढ़ करने और उद्योग, सरकार और उत्पादकों के बीच सहयोग बढ़ाने की जरूरत बताई गई।उन्होंने ‘एक जिला, एक उत्पाद’ (ODOP) योजना को और अधिक प्रभावी बनाने पर बल देते हुए कहा कि कम लागत, अधिक मात्रा वाले उत्पादों से हटकर वैश्विक मांग के अनुरूप उच्च मूल्य वाले उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए प्रमुख जिलों में निर्यात केंद्र और एंकर फर्म स्थापित करने का सुझाव दिया गया। उन्होंने वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने के लिए लक्षित नीतिगत सुधार करने और वियतनाम के निर्यात-आधारित विकास मॉडल से सीख लेने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।कार्यशाला का समापन गहन विचार-विमर्श और सहभागी विकास के रोडमैप प्रस्तुति के साथ हुआ। इस दौरान कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती मोनिका एस. गर्ग, मुख्यमंत्री के सलाहकारगण, प्रमुख सचिव (उद्योग, योजना, परिवहन, श्रम, ऊर्जा, आईटी एवं ई-सेवाएं) सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, थिंक टैंक और परामर्श संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।इस कार्यशाला के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि उत्तर प्रदेश अपने वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। सरकार नीतिगत सुधारों, औद्योगिक निवेश और निर्यात बढ़ाने के प्रयासों को लगातार गति दे रही है, जिससे प्रदेश को आर्थिक रूप से और अधिक समृद्ध बनाया जा सके।