जब-जब अत्याचार, अनाचार व अन्याय बढा है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है

अत्याचार को समाप्त कर धर्म की स्थापना को लेकर ही प्रभु का अलग-अलग रूपों में अवतार होता है

जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड दी, तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ- आचार्य बाल कृष्ण शरण जी महराज

मोरवा, सिंगरौली( मध्य प्रदेश) । सिंगरोली में शिव मन्दिर प्रगाण में श्रीमद्भागवत कथा साताह ज्ञान उत्सव में वृंदावन धाम से पधारे कथाव्यास ग्यारह मुखी हनुमान जी के साधक आचार्य बाल कृष्ण शरण महराज के द्वारा कथा के चौथे दिन वामन अवतार, श्रीकृष्ण जन्म की कथा एवं नदोंत्सव का वर्णन किया गया ।कथावाचक ने कहा कि जब-जब अत्याचार, अनाचार व अन्याय बढा है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है. अत्याचार को समाप्त कर धर्म की स्थापना को लेकर ही प्रभु का अलग-अलग रूपों में अवतार होता है. जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड दी, तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ ।सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। महराज ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। भगवान ने रात ये ही जन्म क्यो लिया क्योंकिविष्णु अवतार में उन्होंने चंद्रदेव को वचन दिया था कि वे उनके प्रकाश में आधी रात को ही जन्म लेंगे। श्रीकृष्ण जन्म की कथा का वर्णन करते हुए महराज ने बताया कि कंस की कारगार मे वासुदेव देवकी के भादो मास की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र मे भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था । उनका लालन – पालन नंद बाबा के घर में हुआ था इसलिए नंदगांव में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है । श्री कृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध करके संसार को उसके अत्याचार से मुक्त किया । सिंगरौली मोरवा की महिलाओ ने बड़ी संख्या में मंत्रमुग्ध होकर कथा का अमृत पान किया । कार्यक्रम के यजमान माया गर्ग , सचिन ने सपरिवार कथा का पूजन मंतोच्चारण से कराया । कथा मे मुख्य रूप से विजय गोयल, विनोद जैन, बिमल कुमार सिंह, डॉ संजुला सिंह, महिला मण्डल मारवाडी समाज, सिंगरौली महिला मण्डल, मि० विनोद, मुरारी गोयल सपत्नी , मनीषा, रंजना, अर्चना, वंदना, किरना, निशा, पुष्पा, पूनम पाठक, नीलम, उमा गुप्ता, अलका यादव, बेबी श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे