सावन के मनभावन दोहे
तन मन जीवन पर चढ़े, नेह-मेह के रंग।
अबकी होली में खिले, जीवन के हर अंग।।
रंग रंग के संग से, बदले जीवन रंग।
उमंग रंग तरंग से, रसमय जीवन जंग।।
तन पर बरसे रंग-रस, मन भींजे रस माहिं।
लागी लगे लगाव से, खैर बैर अब नाहिं।।
रंगरसिया मन बसिया, हर दिन होली होय।
रस बरसे मन-गगन से, रस से बचे न कोय।।
तमसो मा ज्योतिर्गमय, अवगुण दहन कराहि।
सावन पावन होलिका, ज्योति जले मन माहि।।
– डॉ. सुनील चौरसिया ‘सावन’
9044974084