हौसला अन्वेषी की ग़ज़लों में दिखता है आज का यथार्थ, कौन आपसे खेल रहा है, उसका हमको नाम बताओ,,,,,,


अनुराग लक्ष्य, 13 मार्च
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुम्बई संवाददाता ।
यूँ तो ग़ज़लों की कई किस्में हैं जैसे, अपने महबूब से बातें करना, हालात ए हाज़रा, जदीद ग़ज़लें, रूमानी ग़ज़लें, वगैरह वगैरह। इसी फेहरिस्त में हिंदी विद्या में भी ग़ज़लें कही जाती हैं और आज की तारीख में मकबूलियत भी हासिल कर रही हैं। इसी फेहरिस्त में मुंबई की सरजमीन पर हिंदी ग़ज़लों का एक मोअतबर नाम हौसला अन्वेषी का भी आता है जिन्हें मुंबई वासी बहुत ही मान सम्मान के साथ सुनते आ रहे हैं। मैं सलीम बस्तवी अज़ीज़ी आज उन्हीं हौसला अन्वेषी जी की एक ग़ज़ल आपकी अदालत में लेकर हाजिर हो रहा हूँ जिसे आपके प्यार और दुलार की बहुत ज़रूरत है। समाद फरमाएं।
1/सोच समझ कर कदम उठाओ ।
कहां जा रहे हमें बताओ।।

2/जंगल जंगल झाड़ी झाड़ी।
जाओ लेकिन राह बनाओ।।

3/देखो वह व्यवधान खड़ा है
उसको समझो समझ बढ़ाओ।।

4/कौन आपसे खेल रहा है ।
उसका हमको नाम बताओ।।

5/दिशाहीन होने से पहले।
अपनी पैनी नजर गड़ाओ।।

6/सही आदमी कहां मिलेगा
उसका जल्दी पता लगाओ।।

7/उसको ही पतवार सौंपकर।
आगे आगे बढ़ते जाओ।।

8/आजादी के परम लक्ष्य का।
जीवन में अब साथ निभाओ।।

9/सत्य खोजना काम आपका ।
उसको ही आधार बनाओ।।

10/अब तक जो कुछ खोया पाया।
मन में उस पर प्रश्न उठाओ।।

11/जो हैं प्रतिभावान यहां पर ।
उनको जल्दी गले लगाओ ।।

12/भ्रम का जो व्यापार कर रहे।
उनको खुद से दूर हटाओ।।

13/ब्रह्म ज्ञान किसको कहते हैं ।
भीतर ताको ध्यान लगाओ।।

14/जो दुनिया में मंगल लाए।।
उसको ही भगवान बताओ।

झूठ-मुठ के हर रहबर को।
15/ त्यागपत्र देकर समझाओ।।

सोच समझकर कदम उठाओ।
कहाँ जा रहे हमें बताओ।।