बस्ती: एडवोकेट एक्ट 1961 में किए जा रहे विवादास्पद बदलाव की वजह से वकील समूदाय लगातार आंदोलित हो रहे हैं । इस पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए जनपद के वरिष्ठ अधिवक्ता विरेन्द्र नाथ पांडेय ने शनिवार को कहा कि इसमें कई प्रावधानों की पहचान की गई है, जो यदि अधिनियमित किए जाते हैं, तो कानूनी पेशे पर विपरीत प्रभाव डालेंगे। हमारी सर्वोच्च संस्था बीसीआई की स्वायत्तता और उसकी अखंडता को कमजोर करेगी। अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक-2025 से बार काउंसिल में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ जाएगा। इसके तैयार किए मसौदे द्वारा बार की स्वायत्तता और स्वतंत्रता की अवधारणा को ध्वस्त करने का प्रयास किया गया है। अधिवक्ता उपेन्द्र नाथ दुबे ने कहा कि इस बिल के विरोध में जनपद के समूचे वकील आंदोलित हैं, आगे और कड़ा विरोध होना तय है। एडवोकेट राधेश्याम शुक्ल ने कहा कि यदि जानबूझकर किए गए कठोर प्रावधानों को तुरंत छोड़ा या संशोधित नहीं किया जाता है। इसे अधिवक्ता समुदाय बर्दास्त नहीं करेगा। अधिवक्ता अजय पाल ने कि अगर विधि मंत्रालय से जल्द ही कोई सकारात्मक आश्वासन नहीं मिलता है तो विरोध प्रदर्शन अनिश्चित काल तक चलेगा। एडवोकट अशोक पांडेय ने भी अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक-2025 की खामियां गिनाते हुए इसके दुष्प्रभावों को गिनाया।