🪷🪷 ओ३म् 🪷🪷
*वाटसप गुरुकुल*
🌹 कक्षा संख्या-१🌹
इस ब्रह्मांड में तत्व मुख्य हैं।
[१] शरीर [२] मन [३] बुद्धि [४] आत्मा [५] परमात्मा।
इन पाचों तत्वों की पवित्रता के लिए पांच कर्म प्रतिदिन बिना आलस्य के अनिवार्य रुप में करना प्रत्येक मानव का परं कर्तब्य है चाहे परिस्थितियां कितनी भी विपरीत हों अपनी मन:स्थिति इस तरहें करें की आप इन पांचों कार्यों की निष्काम भाव से कर सकें यही एकमत्र पथ है बंधनों से छूटकर मुक्ति का और कोई रास्ता नहीं इस विषय में दो प्रमाण देना पर्याप्त है।
🌼 वेद का प्रमाण 🌼
*नान्य:पन्थां विद्यतेsयनाय-यजुर्वेद!!*
अर्थात् इसके अतिरिक्त और कोई मार्ग नहीं है।नहीं है।
🌼 मानस-प्रमाण 🌼
श्री रामचरित मानस में श्री गोस्वामी तुलसी दास जी महाराज लिखते हैं!
*चलहिं कुपंथ वेद मग छाड़े कपट-कलेवर कलिमल भाड़े।।*
अर्थात् कलियुग में लोग ईश्वरीय वाणी वेद पथ को छोड़ देंगे और कुपंथ यानि मन-माना धर्म शास्त्र बनाकर पाखंड को ही धर्म बतायेंगे!अपना-अपना मत चलाकर गुरु-शिष्यों की टोली बनाकर अपने को ही *जगदगुरु* कहने का एजेंड चलायेंगे।
अब विचार करना है कि * ब्रह्माण्ड के इन पां तत्वों के साथ कैंसा आचरण करें कि बधंनों से मुक्ति पाकर ईश्वर के कैवल्य धाम यानि मुक्ति को प्राप्त कर सकें!
*प्रथम पदार्थ शरीर*
शरीर परमात्मा ने मानव को पुरुषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति के लिए एक साधन के रुप में दिया है।ये शरीर भी तीन प्रकार के होतें हैं ।प्रथम है स्थूल शरीर। यह स्थूल शरीर ।द्वितीय है सूक्ष्म शरीर और तृतीय है कारण शरीर।इन शरीरों की व्याख्या व इनकी पवित्रता कैंसे होगी? इस विषय पर चर्चा अगली कक्षाओं में करेंगे।जिससे आप जान सकें कि *पाप शरीर करता है या कोई ओर!पाप जल से धुलते हैं या कर्म से?पाप छूटते हैं,कटते हैं या भोगने पड़ते हैं?* इसकी परिचर्चा अगली कक्षाओं में करेंगे।बस आप धैर्य बनाए रखिएऔर *वाटसप गुरुकुल* के अनुशासित विद्यार्थी बनें रहेंगें।कक्षा संख्या-२ कल क्रमश:……………..
✍️ अति विशेष ✍️
आप परोपकार की दृष्टि से इस *ज्ञान महाकुंभ में स्नान* करने के लिए इन कक्षाओं को आगे भी अन्य ग्रुपों में प्रेषित (शेयर) कर सकते हैं।
🏵️ आचार्य सुरेश 🏵️