हमारी आस है गंगा, हमारी प्यास है गंगा, संजय पुरुषार्थी / प्रख्यात उद्घोषक साहित्यकार पर्यावरणविद् संजय पुरुषार्थी ने DDUP DDNational TV Channel पर “महाकुंभ दर्शन” के सजीव प्रसारण से किया आगाज़ ,,,,,,


अनुराग लक्ष्य, 17 जनवरी
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता।
,, अगर गंगा की धारा से हमें भी प्यार हो जाए,
बस इक पल में हमारा आपका उद्धार हो जाए,
जहाँ पर आस्था विश्वास का संगम दिखाई दे,
करो कोशिश खड़ी ऐसी कोई मीनार हो जाए,,,
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी की उपरोक्त पंक्तियाँ शायद यह आपको बताना चाहती हैं कि पर्वतों से उतरती हुई नदियाँ और बहते हुए झरने यह कभी नहीं सोचते कि उन्हें जाना कहाँ है, क्योंकि उन्हें पता है कि जो पथरीले चट्टानों से टकराकर आ रहे हैं, उन्हें जाना कहाँ है और उनकी मंज़िल क्या है। यही बात पूरी तरह लागू होती है प्रख्यात उद्घोषक संजय पुरुषार्थी के साहस और हिम्मत पर जो ठीक दो महीने के लंबे संघर्ष के बाद ज़िंदगी और मौत की जंग में आखिरकार मौत को शिकस्त देकर अपनी ज़िंदगी की खूबसूरती शामों के साथ इस वक्त प्रयागराज की धरती पर खुशनुमा माहौल में अपने चाहने वालों के बीच फिर एक बार अपनी पूरी शख्सियत के साथ मौजूद हैं। और आज फिर उसी अपने सुहाने सफर का आगाज़ कर रहे हैं जिसके लिए वह जाने और पहचाने जाते हैं।
आपको बताते चलें कि इस समय महाकुंभ प्रयागराज में बने DD UP DD Naitinal दूरदर्शन केंद्र के स्थाई स्टूडियो से महाकुंभ दर्शन का जीवंत सीधा प्रसारण चल रहा है। जिसमें हिमांशु त्रिपाठी और उद्घोषिका शांभवी शुक्ला के साथ के साथ बतौर मुख्य अतिथि की भूमिका के साथ एक विशेषज्ञ के रूप में उद्घोषक संजय पुरुषार्थी ने अपनी उपस्थित दर्ज कराई, जो कार्यक्रम का विशेष आकर्षण बना।
अपने इस साक्षात्कार में उन्होंने माँ गंगा से लेकर पर्यावरण संबंधित कई सवालों पर अपनी विशेष प्रतिक्रिया से महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया। साथ ही अपनी साहित्यिक ऊर्जा को भी दर्शाया, और कहा कि,
न टूटी है, न टूटी है हमारी आस की गंगा,
हमारी आस है गंगा, हमारी प्यास है गंगा।