अनुराग लक्ष्य, 22 दिसंबर
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
खुशबू रंगत नज़ारे गुल गुलशन के साथ जब कुदरत की तमाम तर शोखियाँ और बहते हुए झरने की कल कल का संगीत किसी भी इंसान में पेवस्त हो जाता है, तब शायद एक कलमकार अपने कलम को पूरी शिद्दत के साथ अवाम से बहुत ही मुहब्बत से रूबरू होता है।
ऐसे ही नामों में इक नाम आता है मुंबई की सरजमीं पर शायरा एवं गायिका पूनम विश्वकर्मा का, जो अपने मेयारी ग़ज़लों और गीतों से आज की तारीख में मकबूलियत के शिखर पर पहुंच चुकी हैं। आज उन्हीं की एक ग़ज़ल से रूबरू कराने का मन हुआ तो आप तक पहुंचा रहा हूं उन्हीं के कुछ अशआर,,,,,
/1/ मेरी बेलौस चाहत का भरम रख,
कहीं दिल में मुझे भी तो सनम रख ।
/2/ यह ले तू रख मेरी खुशियों की दौलत,
यह ले दामन में मेरे तेरे गम रख ।
/3/ मेरी हर सांस का है रब्त जिससे,
वोह बोले राब्ता कुछ मुझसे कम रख।
/4/ झुकाने की किसी को गर है ताकत,
उठाने को भी उसको खुद में दम रख ।
/5/ बजी कूकर की सीटी देख ,पूनम,
ख्यालों से निकलकर कागज़ क़लम रखा ।
आपको बताते चलें कि पूनम विश्वकर्मा आज की तारीख में अपनी गायकी और भजनों से श्रोताओं को सराबोर करने में पूरी तरह सक्रिय हैं। मुंबई के इलावा देश के अन्य प्रांतों में भी उनके स्टेज शो बराबर हो रहे हैं। आने वाली 30 December को उनका एक भव्य प्रोग्राम मध्य प्रदेश में भी आयोजित किया गया है जिसमें अभी से ही उनके आने के स्वागत में बड़े बड़े पोस्टर और होर्डिंग लगाए गए हैं।