उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि खेतों, सड़कों के किनारे और हाइवे पर निराश्रित गोवंश विचरण करते न पाये जाए। इसके लिए मुख्य पशुचिकित्साधिकारी के साथ-साथ गोसंरक्षण कार्यों से संबंधित अन्य विभागों के अधिकारियों की भी जवाबदेही तय करने के लिए गाइडलाइन तैयार की जाए। उन्होंने आगामी 07 दिसम्बर से 14 दिसम्बर तक प्रदेश के सभी जनपदों में सड़कों या खेतों में घूम रहे निराश्रित गोवंश का संरक्षण किए जाने के निर्देश दिए हैं।विधान भवन स्थित अपने कार्यालय में पशुधन विभाग के कार्यों की समीक्षा करते हुए मंत्री ने कहा कि गौशालाओं में गोवंश के भरण पोषण की व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाया जाए। अधिकारियों को निर्देश दिया कि गोआश्रय स्थलों में गोवंश के ठंड से बचाव, पर्याप्त चारा, भूसा, पानी, प्रकाश, औषधि आदि की आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। मंत्री ने अधिकारियों को सख्त रूप से कहा कि गोशालाओं में गोवंश की भरण पोषण व्यवस्था पर पूरा अमल किया जाए और आवंटित बजट का सही तरीके से उपयोग किया जाए।धर्मपाल सिंह ने कहा कि निराश्रित गोवंश का संरक्षण एवं संवर्धन राज्य सरकार की प्राथमिकता है और इस कार्य में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि मोबाइल वेटनरी यूनिट का संचालन सुव्यवस्थित तरीके से किया जाए और जहां भी पशुधन की चिकित्सा की आवश्यकता हो, वहां तत्काल सुविधा प्रदान की जाए।मंत्री ने कहा कि गोवंश संरक्षण के लक्ष्य की पूर्ति के लिए जनपद के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी और मंडलीय अपर निदेशक द्वारा निरीक्षण कर आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। उन्होंने समन्वय के लिए ग्राम विकास, नगर विकास, पंचायतीराज, राजस्व और गृह विभाग के साथ मिलकर कार्य करने के निर्देश दिए। मंत्री ने यह भी कहा कि यदि किसी विभाग द्वारा सहयोग नहीं किया जा रहा है, तो उसकी सूचना शासन को दी जाए, ताकि उच्च स्तर पर कड़ी कार्रवाई की जा सके।
वर्तमान में प्रदेश में 7642 गोआश्रय स्थलों पर 1214347 गोवंश संरक्षित हैं।बैठक में प्रमुख सचिव के. रवीन्द्र नायक, विशेष सचिव देवेन्द्र पाण्डेय, दुग्ध विकास विभाग के विशेष सचिव राम सहाय यादव, पीसीडीएफ के प्रबंध निदेशक आनन्द कुमार और पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. पी.एन. सिंह समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।