दीपावली का पावन पर्व जो रोशनी, उल्लास और सौहार्द का प्रतीक है और सभी के जीवन में नई ऊर्जा और प्रेरणा लाता है। इसी दीपमालिका के अवसर पर स्वतंत्र लेखन मंच पर छह दिवसीय दीपोत्सव के अंतर्गत प्रतिदिन दीपावली के संदर्भ में विविध विषय व विधा का आयोजन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य लेखन प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देना और परंपराओं को साहित्य के माध्यम से सहेजना है। स्वतंत्र लेखन मंच की अध्यक्षा दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ के मार्गदर्शन और विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ के नेतृत्व में एक और अनूठी पहल के रूप में दीपावली के उपलक्ष में पर्व विशेष पर विभिन्न विधाओं में प्रतिभागियों को प्रस्तुति देनी थी| हिन्दी साहित्य में जहां भावों में भक्ति और अध्यात्म का वर्चस्व रहा, वहीं काव्य शिल्प छंद का सर्वत्र प्रभाव था। इसके साथ ही अन्य विधा जैसे आलेख, संस्मरण, संवादात्मक और लघुकथा का भी प्रादुर्भाव हुआ| दीपावली के पर्व को ध्यान में रखते हुये रचनाकारों की सृजनता उपरोक्त प्रतियोगिता में झिलमिलाते दीपों की चमक लिए आतिशबाज़ी की धूम से सजे भाव के साथ समयानुकूल विषयों पर सटीक और सार्थक रही|
प्रतियोगिता की शुरुआत 28 अक्तूबर को श्रीमती अनीता राजपाल ‘वसुंधरा’ के संचालन में ‘दीपावली और साफ सफाई’ विषय पर आलेखन से हुई, जिसमें 28 रचनाकारों ने अपने आलेख से मंच को सुसज्जित किया| दिव्या भट्ट ‘स्वयं’ को सर्वश्रेष्ठ आलेखन के पुरस्कार से सम्मानित किया गया| पर्व के दूसरे दिवस यानि 29 अक्टूबर को ‘दीपावली और दीपदान’ विषय पर नीरजा शर्मा ‘अवनि’ के मंच संचालन में छंद मुक्त काव्य विधा में सम्पन्न हुई| प्रतियोगिता में 33 रचनाकारों की प्रतिभागिता रही और संजीव कुमार भटनागर ‘सजग’ को श्रेष्ठ लेखन का सम्मान मिला| तृतीय दिवस सुरेशचन्द्र जोशी ‘सहयोगी’ के मंच संचालन में ‘दीपावली और आतिशबाज़ी’ विषय पर लघुकथा विधा में 23 प्रतिभागियों ने शिरकत करी और नीरजा शर्मा ‘अवनि’ को सर्वश्रेष्ठ लघुकथा लेखन के लिए सम्मानित किया गया| चतुर्थ दिवस सुमन किमोठी ‘वसुधा’ जी के मार्गदर्शन में ‘दीपावली और पूजन अर्चन’ विषय पर स्वच्छंद विचारों और भावों की जगमगाहट देखने को मिली| 33 रचनाकारों की प्रतिभागिता रही जिसमें अशोक दोशी “दिवाकर” को उनके सुंदर भाव अभिव्यक्ति के लिए सम्मानित किया गया| दीपावली पर्व हो और उपहार नहीं ये तो हो नहीं सकता तो पंचम दिवस पुरानी यादों का पिटारा खोलते हुये 17 रचनाकारों ने ‘दीपावली और उपहारों का आदान प्रदान’ विषय पर श्री संजीव कुमार भटनागर ‘सजग’ के मंच संचालन में प्रतिभागिता करी। सुरेशचन्द्र जोशी “सहयोगी” को सर्वश्रेष्ठ लेखन हेतु सम्मानित किया गया। अंतिम दिवस श्री कृष्णकांत मिश्र ‘कमल’ के संचालन में ‘भाई बहन का अटूट संबंध’ विषय पर संवादात्मक शैली में लेखन की चुनौती को 20 रचनाकारों ने स्वीकार कर अपनी अनूठी कल्पना और पर्व की सार्थकता को ध्यान में रखकर भाग लिया। फूलचन्द्र विश्वकर्मा “भास्कर” को सर्वश्रेष्ठ लेखन के लिए सम्मानित किया गया।
प्रतियोगिता और प्रतिभागिता के लिए नीरजा शर्मा ‘अवनि’, सुमित जोशी ‘राइटर ‘जोश’, सुनील भारती और नीतू गर्ग ‘कमलिनी’ ने रचनात्मक पोस्टर, कोलाज और वीडियो बनाए, साथ ही अनुपम प्रशस्ति पत्रों के नवल रूप से रचनाकारों को सम्मान प्रदान किया, जो कार्यक्रम की गरिमा के अनुरूप थे। कृष्णकांत मिश्र ‘कमल’ के सहयोग और डॉ दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ के उद्बोधन ने रचनाकारों के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन का कार्य किया। कार्यक्रम की समीक्षा अशोक दोशी ‘दिवाकर’ और सुरेश जोशी ‘सहयोगी’ ने अपने अनूठे अंदाज में की। दवीना अमर ठकराल देविका के अनुसार दीपावली रोशनी का त्योहार है, साथ ही प्रभु श्री राम के 14 वर्ष वनवास और लंका विजय के बाद अयोध्या आगमन का उत्सव है| इस दिन नकारात्मकता की सफाई कर तन मन और घर में सकारात्मकता का वास होता है| माँ लक्ष्मी, प्रभु गणेश और माँ सरस्वती के पूजन से धन और विद्या की प्राप्ति और विघ्नों से मुक्ति मिलती है| पाँच दिवस, पाँच पर्व, उपहार और मिष्ठान न केवल स्वाद में अपितु घर और रिश्तों में मिठास ले आते हैं और सुख-समृद्धि, शांति की प्राप्ति होती है|
नित नई सोच,सृजन व आयोजन के प्रति प्रतिबद्धित स्वतंत्र लेखन मंच
हिंद, हिन्दी व सामाजिक उत्थान को केंद्र बिंदु मान सृजनात्मक गतिविधियों के लिए संकल्पित है।