गोण्डा के देहदानी कवि सुधीर श्रीवास्तव को हिंदी साहित्य रत्न सम्मान, हिंदी विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा 

गोण्डा (उत्तर प्रदेश): हिंदी दिवस के अवसर पर जिले के वरिष्ठ कवि साहित्यकार देहदानी सुधीर श्रीवास्तव को “निहारिका साहित्य रत्न कंट्री आफ इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट” द्वारा “हिंदी साहित्य रत्न सम्मान” सम्मानित किया गया।

एक बयान में सुधीर श्रीवास्तव ने संस्थापिका डा. रीमा सिन्हा और अध्यक्ष डा. अजीज सिद्दीकी का आभार व्यक्त करते हुए डा. जयंती प्रसाद नौटियाल (महानिदेशक , वैश्विक हिन्दी शोध संस्थान

मनोजय भवन, देहरादून) के शोध का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने अपने शोध में यह सिद्ध किया था कि कि विश्व में हिन्दी विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है , इस पर विश्व के अधिकांश विद्वानों ने इस शोध का समर्थन किया है।

सुधीर ने भारत सरकार और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग करने वाले संगठनों से अपील की है कि इस तथ्य को केंद्र में रखकर हिंदी को विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में पहले स्थान पर होने की सार्वजनिक घोषणा तथ्यात्मक आंकड़ों के साथ वैश्विक स्तर पर करायें जाने के लिए ठोस कदम उठाएं।

डा. नौटियाल के शोध के अनुसार हिन्दी का विश्व में पहला स्थान है लेकिन एथ्नोलोग इसे तीसरे स्थान पर दिखाता है ।

विश्व मे भाषा संबंधी आंकड़े परिचालित करने वाली संस्था एथनोलोग ने अपनी 2021 की रिपोर्ट मे अँग्रेजी को प्रथम माना है, तथा इनके बोलने वालों की संख्या (1348 मिलियन) अर्थात 1 अरब चौंतीस करोड़ 8 लाख दर्शाई है तथा मंदारिन को दूसरे स्थान पर रखा है । इसके बोलनेवालों की संख्या (1120 मिलियन ) अर्थात 1 अरब 12 करोड़ बताई है तथा हिन्दी को तीसरे स्थान पर रखा है और इसके बोलनेवालों की संख्या सिर्फ ( 600 मिलियन ) अर्थात 60 करोड़ दर्शाई गई है , जबकि सत्य यह है कि विश्व मे हिन्दी बोलने वाले ( 1356 मिलियन ) अर्थात 1 अरब 35 करोड़ 60 लाख हैं । हिन्दी जाननेवाले , अँग्रेजी जानने वालों से 1 करोड़ 52 लाख अधिक हैं ।

अतः हिन्दी विश्व मे सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है , विश्व भाषाओं की रैंकिंग में पहले स्थान पर है । यह तथ्य वैश्विक हिन्दी शोध संस्थान द्वारा जारी भाषा शोध रिपोर्ट 2021 के अंतिम परिणाम से सिद्ध हो चुका है । अतः हिन्दी निर्विवाद रूप से पहले स्थान पर है । इसे पहले स्थान पर ही दर्शाया जाना चाहिए ।

 

ज्ञातव्य है कि श्री श्रीवास्तव वर्तमान में पक्षाघात का दंश झेल रहे और विशिष्ट पहचान बना चुके बहुआयामी व्यक्तित्व, बेबाक, सर्वसुलभ, सर्वहितैषी व्यक्तित्व के धनी नवोदित रचनाकारों के लिए सारथी की भूमिका निभाने वाले सुधीर श्रीवास्तव जी विभिन्न राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय पटलों/मंचों से 2300 से अधिक सम्मान पत्र प्राप्त कर चुके श्री श्रीवास्तव विभिन्न साहित्यिक पटलों में पदाधिकारी भी हैं।

बुलंदी विश्व रिकॉर्ड कवि सम्मेलन में प्रतिभाग कर ‘काव्यश्री’, अखंड काव्यार्चन गोल्डेन बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड, ऐतिहासिक अमृत महोत्सव काव्य गोष्ठी के लिए ‘गौरव सम्मान’, ‘कोच काव्य कुँभ २०२१’, जय विजय सम्मान २०२१, संगम शिरोमणि आदि से सम्मानित श्री सुधीर श्रीवास्तव नेत्रदान का संकल्प और देहदान की सार्वजनिक घोषणा कर चुके हैं। नवोदित रचनाकारों को यथासंभव प्रेरित कर सहयोग/मार्गदर्शन देते हुए आगे बढ़ाने का भी हर संभव प्रयास करते हुए प्रेरक , गाडफादर, सारथी की भूमिका लगातार निभा रहे हैं।

श्री सुधीर श्रीवास्तव के सम्मानित किए जाने पर  अनेक साहित्यिक, सामाजिक संगठनों, कवियों, साहित्यकारों, प्रबुद्धजनों ने श्री सुधीर श्रीवास्तव को बधाइयाँ और शुभकामनाएं देते हुए प्रसन्नता व्यक्त की है।