रक्षाबंधन नहीं उपनयन -आचार्य सुरेश जोशी

🧅🧅ओ३म्🧅🧅
🌻 *रक्षाबंधन नहीं उपनयन*🌻
🌰 जिज्ञासा एवं समाधान 🌰
*जिज्ञासा :- श्रावणी उपाकर्म , रक्षाबंधन क्या है?*
समाधान:- श्रावणी उपाकर्म आदि सृष्टि से चला आ रहा आर्यों का वैदिक पर्व है। कालांतर में साहित्य व इतिहास प्रदूषण से इसका वर्तमान नाम रक्षाबंधन चला रहा है इस नवीन परंपरा का जन्म महाभारत काल के बाद हुआ। इतिहास की एक घटना से इसका मुगलकालीन होने का भी प्रमाण मिलता है। मगर वास्तव में यह रक्षाबंधन न होकर *श्रावणी उपाकर्म ही है।*
🏀🏀🏀🏀🏀🏀🏀
*जिज्ञासा:-कृपया श्रावणी उपाकर्म व रक्षाबंधन पर विस्तार से प्रकाश डालें जिससे अधिकाधिक प्रजा का हित हो सके!*
🌻🌻समाधान🌻🌻
आर्यावर्त देश भूगोल में वर्षा व कृषि प्रधान देश है जिसमें अषाढ़,श्रावण,भाद्रपद और क्वार ये ४ माह विशेष वर्षा के हैं। आषाढ़ के प्रारंभ से श्रावण के अंत तक खेती में जुताई-बुताई समाप्त हो जाती है इसके बाद किसान खाली हो जाता है।
मंडियों में अनाज न होने के कारण वैश्य वर्ण भी खाली हो जाते हैं।
नदियों में बाढ़ आने के कारण क्षत्रियों का भी दिग्विजय अभियान बंद हो जाता है।
अरण्यों में रहने वाले ऋषि मुनि भी वर्षा के कारण अपनी पर्ण कुटियों को छोड़कर गृहस्थों के चौपालों, पंचायतों व अतिथिशालाओं में आ जाते थे।इसी का नाम है 💠 चातुर्मास🦚इस समय भारत की समस्त जनता स्वाध्याय में सपरिवार अपना जीवन लगाकर अपना परलोक व मुक्ति का पुरुषार्थ संग्रह करती थी। शास्त्रों में इसका आदेश व प्रमाण इस प्रकार है।
🏵️ब्रह्मचर्य आश्रम🏵️
आचार्याधीनो वेदमधीष्व।
आचार्य के आधीन वेदाध्ययन करते रहो।
🏵️गृहस्थाश्रम🏵️
स्वाध्यान्मा प्रमद:।
विद्याध्ययन के बाद भी स्वाध्याय करते रहो।
🏵️वानप्रस्थाश्रम🏵️
स्वाध्याये नित्ययुक्त:स्यात्।
सदा स्वाध्याय करते रहना।
🏵️सन्यास आश्रम🏵️
सन्यसेत् सर्वकर्माणि वेलमेकम् सन्यसेत्।
सब कुछ छोड़ दें परंतु वेद का स्वाध्याय न छोड़ें।
🐦🐦🐦 *सार*🐦🐦🐦
इस प्रकार श्रु -श्रवणे धातु से श्रावण शब्द बनता है जिसका अर्थ है🌼वेद को सुनना-सुनाना चाहिए🌼।शरीर और आत्मा का मिलन जीवन कहलाता है। दोनों के स्वस्थ्य रहने पर ही जीवन का आनंद है। जैंसे शरीर की रक्षा के लिए अन्न की आवश्यकता है वैंसे आत्मा का उत्थान स्वाध्याय में है।इसी क्रम में इस वर्ष 🌻 * *आर्य समाज मंदिर मुजफ्फरपुर विहार में वेद कथा सप्ताह*🌻* मनाया जा रहा है जिसका विषय है।
🍁🍁उपाकर्म🍁🍁
उप=समीप+आकरण=प्रजा का विद्वानों के समीप जाना।इस समय सारा आर्यावर्त देश की युवा पीढ़ी भी व ५ वर्ष के बालक-बालिकायें भी विद्यालयों (गुरुकुलों) में प्रवेश लेते थे। *अंग्रेज वैदिक शिक्षा पद्धति से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने ने भी अपने देश में शिक्षण प्रवेश के लिए श्रावणमास को उपयुक्त जान जुलाई माह को एडमिशन के लिए चुना* भारत आने से पूर्व अंग्रेजों के विद्यालय जून में प्रवेश कराते थे क‌ई काले अंग्रेजों ने आज भी अंग्रेजों की पद्धति को अपना रखा है।
*इस प्रकार चातुर्मास में सम्पूर्ण आर्यावर्त उपदेशामृत का पान करता था।गुरुकुलों में नूतन ब्रह्मचारियों का प्रवेश इस तरह था कि भारत में ७लाख ४२हजार गांव थे और इतने ही गुरुकुल थे।यानि कि एक गांव में एक गुरुकुल।१००%साक्षरता थी।*
🌼अध्यनस्य उपाकर्म उपाकरणम् 🌼
अर्थात् सभी आर्य जन **पुराने यज्ञोपवीत उतार कर नये यज्ञोपवीत धारण करते थे* इसलिए उपाकर्म कहते हैं।
🌼🌼 *रक्षाबंधन*🌼🌼
यह एक विकृत व अर्वाचीन(नया)नाम है।अभी इसको राखी, कलावा नाम भी मिल गया। क्योंकि ये विकृति ही है अतः आगे और भी विकृति होना तय है।जो यज्ञोपवीत कभी आर्यों की शान होता था और जिसके परिणामस्वरूप। *चंद्रशेखर आज़ाद* जैंसे सुपुत्रों को भारत माता जनती थी वहीं यज्ञोपवीत कलावा के रूप में हाथ में आने लगा।इसका परिणाम इतना भयंकर हुआ कि मुसलमान लड़को ने हाथ में कलावा पहनकर हिंदू बेटियों का शोषण किया जिसे दुनिया *लव जिहाद* के रूप में जानती है।आज तो राखी देश का बहुत बड़ा व्यापार बन चुका है और * *९०%राखियां बनाने वाले व बेचने वाले मुसलमान हैं* तथा दुर्भाग्य यह है कि यज्ञोपवीत की उपेक्षा हो रही है जब यज्ञोपवीत धारण नहीं होगा तो बीर व विद्वानों का जन्म नहीं होगा और अविद्या अंधकार फैलेगा।यही वर्तमान में हो रहा है
🌹 *एक इतिहास*🌹
हुमायूं तैमूर खानदान का बादशाह था। उसके पास चित्तौड़ की राजमाता कर्म देवी ने राखी भेजी जिसे पाकर हुमायूं उसकी रक्षा के लिए अपनी सेना लेकर चित्तौड़ पहुंच गया था। *चित्तौड़ पर बहादुर शाह ने आक्रमण किया।महारानी कर्म देवी का राजकुमार उदय सिंह छोटा ही था,रानी विधवा थी। पुत्र रक्षा का सवाल था।रानी ने सोच विचार कर हुमायूं को राखी भिजवायी हुमायूं उस समय शेरशाह के साथ युद्ध कर रहा था।पत्र व राखी पाकर युद्ध का नेतृत्व अपने सेनापति को दे चित्तौड़ को चल दिया मगर पहुंचने में देर हो गई तब तक कर्म देवी हजारों नारियों के साथ सती हो गई उधर हुमायूं के आने की खबर सुनकर बादशाह भाग गया। वास्तव में यह भी एक इतिहास प्रदूषण है।* जबकि सच्चाई यह है कि बहादुर शाह व हुमायूं का यह एक षड्यंत्र था भारत पर शासन करने का राजमाता इस षड्यंत्र का शिकार हो ग‌ई क्योंकि मुगल आतंकियों ने ऐसी परिस्थिति का निर्माण किया था।
*राजस्थान की इस घटना को लव जिहाद के मुसलमान आका जानते थे और आज भी इस छद्मयुद्ध का लाभ वो ले रहे हैं हिंदुओं को इसे जानने-जनाने की आवश्यकता है और श्रावणी उपाकर्म का यह विशुद्ध इतिहास हर हिंदू के घर तक पहुंचाना प्रत्येक जागरूक हिंदू का कर्त्तव्य है आर्य समाज २००वर्षों से इस कार्य को पूरे देश में कराता है। अतः आज के दिन हमें घर पर विद्वानों को बुलाकर पुराने यज्ञोपवीत(जनेऊ) बदलकर यज्ञ करना व वेद प्रवचन सुनकर ऋषियों के ऋण से उऋण होना चाहिए। श्रावणी को इसीलिए ऋषि तर्पण भी कहा जाता है।*
🌻 श्रावणी पर्व की शुभकामनाएं 🌻
आचार्य सुरेश जोशी
*वैदिक प्रवक्ता*
आर्यावर्त साधना सदन पटेल नगर दशहराबाग बाराबंकी उत्तर प्रदेश।
🌸 सचल लेखागार कक्ष 🌸
*बाघ एक्सप्रेस*
*कोच संख्या -बी-३,४५/४६*
*रेलवे स्टेशन गोरखपुर*
*समय- अपराह्न १.३०*