(जन्म-3 अप्रैल 1908 मृत्यु 31 जुलाई 1980) (संक्षिप्त जीवन परिचय)
बस्ती जनपद में शैक्षिक विकास के मालवीय कहे जाने वाले पं० शिवहर्ष उपाध्याय का जन्म महिमामण्डित भगवान भदेश्वर नाथ जी की पवित्र स्थली के सन्निकट ग्राम मैसहिया, पोस्ट दुधौरा जनपद-बस्ती (उ0प्र0) में 3 अप्रैल 1908 को एक साधारण ब्राहमण कुल में जन्म हुआ,पिता श्री ढोढ़ई राम उपाध्याय एवं मां श्रीमती लखराजी देवी के तीन पुत्रों और दो पुत्रियों में वह दूसरे स्थान पर थे। अल्पायु में पिता श्री ढ़ोड़ई राम उपाध्याय के ब्रह्मलीन हो जाने के कारण माता लखराजी देवी के ऊपर इनके शिक्षा दीक्षा का भार आ गया इस विषन घड़ी में माता लखराजी देवी ने कठिन परिश्रम से बच्चों के लालन पालन के साथ ही शिक्षा दीक्षा का उचित प्रबन्ध भी किया। लखराजी देवी के ज्येष्ठ पुत्र राम हर्ष उपाध्याय वैद्य का प्राइमरी पाठशाला डिलिया में दाखिला कराया, इसके बाद मिडिल स्कूल पक्का बाजार बस्ती में आगे की शिक्षा ग्रहण किए, सबसे बड़े होने के कारण छोटे भाई शिवहर्ष उपाध्याय एवं रामयज्ञ उपाध्याय की शिक्षा का भार इनके कंधों पर आ गया परिस्थिति वश इन्होनें जिला बोर्ड के औषधि विभाग में नौकरी कर ली। तब तक पंडित शिवहर्ष उपाध्याय ने भी डिलिया प्राइमरी स्कूल से गुरू गोविन्द प्रसाद पाण्डेय से दीक्षा प्राप्त कर प्राथमिक शिक्षा उत्तीर्ण कर आगे की शिक्षा के लिए नार्मल मिडिल स्कूल पक्का बाजार बस्ती में दाखिला किया, बचपन से खेल में रूचि होने के कारण स्काउट में भाग लेने लगे, मिडिल परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद बड़े भाई रामहर्ष उपाध्याय ने ए०एस०एच० एंड जी०आर०एस० इण्टर कालेज पक्का बाजार बस्ती में इनका दाखिला कराया, जहाँ से उन्होने हाईस्कूल एवं इण्टर की परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की मेधावी होने के कारण हाईस्कूल में उन्हें चांदी का एक रूपया और इण्टर में दो रूपया छात्रवृत्ति प्राप्त होती थी। इसके बाद छोटे भाई राम यज्ञ उपाध्याय की पढ़ाई का दायित्व दोनों बड़े भाईयों पर आ गया, अन्ततः बाध्य होकर इन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। 1929 ई० में पंडित शिवहर्ष उपाध्याय ने पार्वती देवी के साथ परिणय सूत्र में बँधकर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया, इन्हें दो पुत्र शिव मूर्ति उपाध्याय, शिव प्रकाश उपाध्याय एवं एक पुत्री रत्न सुमित्रा उपाध्याय प्राप्त हुई। सम्प्रति इनके ज्येष्ठ पुत्र शिवमूर्ति उपाध्याय के पुत्र संजय उपाध्याय किसान शिक्षा समिति के मंत्री है। अग्रिम शिक्षा में बाधा पड़ जाने के बाद ही उपाध्याय जी ने एक प्रबुद्ध, समाज सेवी एवं प्रतिभाशाली व्यक्तित्व वाले दौलत राम अस्थाना जी के सम्पर्क में आकर एक स्काउट से आप डिस्ट्रिक्ट फिजिकल कल्चर सुपरिटेंडेंट के पद पर आसीन हुए। स्काउट के साथ साथ कीड़ा क्षेत्र में भी आपकी अभिरूचि देखकर आपको डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स एशोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी तथा उ० प्र० स्पोर्ट्स कन्ट्रोल बोर्ड कार्यकारिणी के सदस्य एवं उ० प्र० ओलम्पिक एशोसिएशन के उपाध्यक्ष पद पर मनोनीत किया गया, जिसकी गरिमा का निर्वहन आपने बड़ी ही कुशलता से कियासमाज की रीढ़ शिक्षा के क्षेत्र में बस्ती जनपद का पिछडापन स्व० श्री उपाध्याय जी के मन को उद्वेलित करता रहा। अतः आपने विविध शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना का व्रत लिया। प्रारम्भ में कसौधन स्कूल की जर्जर स्थिति पर आपकी पैनी दृष्टि पड़ी जिसके उत्थान के लिए आप अंतः मनन एवं चिन्तन करने लगे और तदनुरूप कदम उठाकर उसे किसान इण्टरमीडिएट कालेज, बस्ती का स्वरूप प्रदान कर कृषि विषय में बस्ती जनपद का प्रथम विद्यालय स्थापित करने का गौरव प्राप्त किया।
बस्ती जनपद के इण्टर उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को स्नातक स्तर की शिक्षा प्राप्ति के लिए भगीरथ प्रयास करना पड़ता था। स्नातक स्तर की शैक्षिक संस्था के अभाव में गरीब एवं पिछड़े हुए कृषक वर्ग के प्रतिभाशाली बच्चों की पढ़ायी बीच में ही अवरूद्ध होते देखकर ही उपाध्याय जी ने स्नातक स्तर की संस्था स्थापित करने का दृढ संकल्प किया। इस पुनीत एवं दुरूह कार्य के लिए साधारण खद्दर का कुर्ता-पयजामा धारण करने वाला यह दृढ निश्चयी व्यक्तित्व किसी भी महान पुरुष, राजनेता या अधिकारी के समक्ष जाने में जरा भी संकोच नहीं किया। इनके उच्च विचारों से प्रभावित तत्कालीन भारत के रक्षा मंत्री श्री बी० के० मेनन जी ने रक्षा विभाग की जमीन विद्यालय को देकर अपना अक्षुण्ण सहयोग प्रदान किया। श्री उपाध्याय जी की यह कठोर साधना सन् 1956 में किसान महाविद्यालय, बस्ती की स्थापना वर्ष में पूरी हुयी। यह बस्ती जनपद का प्रथम कला और विज्ञान संकाय का महाविद्यालय था। इस महाविद्यालय से मात्र बालकों की शिक्षा व्यवस्था पूरी हुई, ऐसी अवधारणा लेकर श्री उपाध्याय जी ने बालिकाओं के लिए भी अलग से महाविद्यालय स्थापित करने की संकल्पना किया।
श्री आरा के० भार्गव जी बस्ती जनपद के तत्कालीन जिलाधीश थे, ने अपना अमूल्य सहयोग देकर 1967 में महिला महाविद्यालय, बस्ती की स्थापना में सहयोगी बनें, जिसके लिए बस्ती जनपद की जनता सदैव आपकी आभारी रहेगी। शिक्षण संस्थाओं का व्रत अभी भी अधूरा है, ऐसा उन्हें आभास हुआ। अतः किसान महाविद्यालय को स्नात्कोत्तर स्तर प्रदान करने का अथक प्रयास करने लगे। इस महान कार्य में धन संचय होना अनिवार्य हो गया जिसे जुटाने में उन्हें रात-दिन प्रयास करना पड़ा और अन्त में कला एवं विज्ञान के कुल पांच विषयों मे स्नात्कोत्तर की कक्षाएँ संचालित करने की अनुमति प्राप्त कर अपनी कर्मठता का परिचय दिया।
विविध शिक्षण संस्थाओं की स्थापना के पश्चात् उनमें शिक्षण कार्य करने वाले कुशल प्रशिक्षित अध्यापकों की कमी दूर करने एवं शिक्षा को रोजगारपरक बनाने के उद्देश्य से श्री उपाध्याय जी ने किसान प्रशिक्षण (एल० टी०) महाविद्यालय बस्ती की स्थापना सन् 1971 में की, जहाँ प्रतिवर्ष लगभग 80 अध्यापक गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर शिक्षा को रोजगार परक बनाने के श्री उपाध्याय जी के सपनों को पूरा करते रहे। जो कि 1999 से बी० एड० प्रशिक्षण कालेज के रूप में परिवर्तित हो गया है। सम्प्रति महाविद्यालय में 50 प्रशिक्षु प्रशिक्षण प्राप्त कर श्री उपाध्याय जी के सपनों को साकार कर रहे हैं।
स्व० श्री उपाध्याय जी की प्रेरणा से ही हीरालाल राम निवास डिग्री कालेज, खलीलाबाद एवं कृषक डिग्री कालेज गौर,बस्ती की स्थापना हुयी जिनकी कायकारिणी के वे आजीवन सदस्य रहे।
उनकी शैक्षिक संस्थाओं के प्रति
निष्ठा एवं कठोर साधना को देखते हुए अवधविश्वविद्यालय,फैजाबाद तथा आब्ट्रिशन बोर्ड (शिक्षा) गोरखपुर तथा वाराणसी रेंज का सदस्य भी मनोनीत किया गया।
शिक्षा विभाग के अतिरिक्त श्री उपाध्याय जी सहकारिता विभाग की विविध संस्थाओं से भी आजीवन जुड़े रहे। वह उ० प्र० सहकारी गन्ना समिति लखनऊ की कार्यकारिणी के सदस्य, प्रथम संचालक मण्डल उ० प्र० लैण्ड, मार्गेज बैंक लखनऊ, सचालक प्रादेशिक सहकारी संघ लि० लखनऊ, मैनेजिंग डायरेक्टर-डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव बैंकिंग यूनियन लिo बस्ती अवैतनिक मंत्री डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव फेडरेशन बस्ती सदस्य संचालक मण्डल जिला गन्ना समिति बस्ती, सदस्य कार्यकारिणी इण्डियन सेन्ट्रल सुगरकेन कमेटी, कृषि मंत्रालय नयी दिल्ली, सदस्य अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी नयी दिल्ली, सेक्रेटरी, जिला कांग्रेस कमेटी बस्ती, सदस्य एवं न्यासी भारतीय चतुर्घाम वेद भवन न्यास तया सदस्य विधान परिषय-उ० प्र० गोरखपुर-बस्ती स्थानीय निकाय क्षेत्र, आदि अनेक पदों को सुशोभित किये। जीवन पर्यन्त समाज सेवा और शिक्षा प्रसार करते रहने के बाद भी बस्ती जिले में शिक्षा प्रसार का उनका सपना अभी पूरा नहीं हो पाया था कि दुर्भाग्यवश बस्ती जनपद के इस निष्ठावान, कर्मठ यशस्वी दिव्य व्यक्तित्व की 31 जुलाई 1980 को निर्मम हत्या हो गयी। शिक्षा, राजनीति और खेल की त्रिवेणी अचानक हमसे बिछुड़ गई। बस्ती जनपद के शैक्षिक विकास के अग्रदूत पं० शिवहर्ष उपाध्याय के बारे में लोग आज भी कहते हैं कि अगर श्री उपाध्याय की हत्या न हुई होती तो वह बस्ती के शिक्षा जगत में और अविस्मरणीय कार्य करते।
*संजय कुमार उपाध्याय*
मंत्री/व्यवस्थापक
किसान शिक्षा समिति बस्ती