इंदौर, अप्रैल प्राणी संग्रहालय में शेरों के पिंजरों के आसपास न केवल दो-दो कूलर बल्कि फव्वारे भी लगाए गए हैं, जिन्हें चार से पांच बार चालू किया जाता है। इसके अलावा यहां परिंदों के पिंजरों को ग्रीन नेट से पूरी तरह ढका गया है और पिंजरे में ही उनके लिए पानी के छोटे-छोटे कुंड बनाए गए हैं। गर्मी को देखते हुए उनकी डाइट में बदलाव करने के साथ-साथ दवाइयां और ग्लूकोज भी दिया जा रहा है। प्राणी संग्रहालय में 168 प्रजातियों के वन्य प्राणियों का 1400 परिवारों का कुनबा है। इनमें सर्वाधिक संख्या शेर, चीते और परिंदों की है। हर बार गर्मी से बचाव के लिए उपाय करते हैं। इस बार भी कुछ अलग इंतजाम किए गए हैं। शेरों के पिंजरों के आसपास दो-दो कूलर लगाने के साथ फवरे भी लगाए गए हैं, ताकि उन्हें ठंडक मिलती रहे। जू के प्रभारी अधिकारी डॉ. उत्तम यादव के मुताबिक दिन में चार से पांच फव्वारे चालू किए जाते हैं और खासकर दोपहर में इनका ज्यादा ध्यान रखा जाता है। दोपहर 12 से शाम छह बजे तक जू की टीम पिंजरों के आसपास निगरानी और निरीक्षण के लिए पहुंचती है। उनके मुताबिक देसी-विदेशी परिंदों के पिंजरों को पूरी तरह ग्रीन नेट से ढंका गया है, साथ ही खस की चटाई भी कई वन्य प्राणियों के पिंजरों के आसपास लगाई गई है, ताकि उन्हें ठंडी हवा मिल सके। करीब 15 से ज्यादा कूलर शेर, चीतों के पिंजरों में लगाए गए हैं, वहीं परिंदों और सांप घर, मंकीघर से लेकर कई पिंजरों के आसपास फव्वारे और ग्रीन नेट लगाई गई है।