ग़ज़ल
आप ख्वाबों में सही रू बरू आते रहिए ।
ये जो रिश्ता है मुहब्बत का निभाते रहिए।।
ये भी किरदार इबादात में आता है।
बोझ गैरों का सदा हंस के उठाते रहिए।।
जिनकी आदत है चुभन देना चुभन ही देंगे।
फूल राहों में भले आप बिछाते रहिए।।
आपको दर्द सदा अपनी कमी देती है।
आईना आप भले सबको दिखाते रहिए।।
जिंदगी एक जुआ और जुआरी हम हैं ।
जीतना है तो यहां दांव लगाते रहिए।।
अपनी खुशियां तो सभी लोग मना लेते हैं।
जो है गमगीन उन्हें भी तो हंसाते रहिए।।
विनोद उपाध्याय हर्षित