सूरज तो सबके दिलों में छा जाता है ,
धूप में अपनी जगत को तपाता है।
पर हारा वही है जो लड़ता नहीं,
जीता वही है जो नहीं रुकता
संघर्षों के रास्ते अनवरत चलता,
अपने सपनों को सिर से उठता।
तोड़ता विषयों की जंजीरों को,
स्वतंत्र मन से अपना सब रचता।
कठिनाइयों को मुस्कान में बदलता,
खुद को अद्वितीय बना डालता।
लड़ता जीवन की प्रतियोगिता में ,
अपने स्वप्नों को हमेशा साकार करता ।
ज्ञान की प्रवाह में अपना रंग भरता,
निरंतर सीख को स्वीकार करता।
हर विषयों पर चर्चा जरूरी,
स्वयं को नये सोचों से ढालता।
जीवन के मैदान में जो नहीं डरता,
समस्याओं में साहस से टकराता।
खुशी से सदा झूम झूम कर,
सिकंदर बन बड़ा नाम कमाता
खेल के नियमों को जो समझता,
पूरे जीवन को संयमित करता।
परेशानियों को अवसर में बदलता ,
जीत के साथ सदैव उन्नत करता ।
डॉ अर्चना श्रेया