विश्व आयोडीन अल्पता दिवस कब मनाया जाता है प्रत्येक वर्ष 21 अक्तूबर को दुनिया भर में ‘विश्व आयोडीन अल्पता दिवस का आयोजन किया जाता है। ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (WHO) 1980 के दशक से ‘राष्ट्रीय नमक आयोडीनीकरण’ कार्यक्रम के माध्यम से आयोडीन की कमी के प्रभावों को रेखांकित करने हेतु काम कर रहा है।
यूनिसेफ ने ‘इंटरनेशनल काउंसिल फॉर कंट्रोल ऑफ आयोडीन डिफिशिएंसी डिसऑर्डर’ (ICCIDC) के साथ मिलकर कई अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों की रणनीति बनाई है और यह 66 प्रतिशत घरों में आयोडीन युक्त नमक उपलब्ध कराने में सक्षम रहा है। , आयोडीन एक खनिज पदार्थ हैं जो आमतौर पर समुद्री भोजन, डेयरी उत्पादों, अनाज और अंडे में पाया जाता है। दुनिया भर में आयोडीन की कमी एक गंभीर समस्या है। वैश्विक स्तर पर 2 बिलियन लोग आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों के खतरे में हैं।
» आयोडीन की कमी को रोकने में मदद करने के लिये इसे घरेलू नमक में मिलाया जाता है। भारत में वर्ष 1992 में मानव उपभोग के लिये आयोडीन युक्त नमक को अनिवार्य किया गया था। इस अनिवार्यता को वर्ष 2000 में शिथिल कर दिया गया, परंतु वर्ष 2005 में इसे फिर से लागू कर दिया गया।
आयोडीन क्या होता है
» आयोडीन एक खनिज पदार्थ है जो आमतौर पर समुद्री भोजन, डेयरी उत्पादों, अनाज और अंडे में पाया जाता है।
3 दुनिया भर में आयोडीन की कमी एक गंभीर समस्या है। वैश्विक स्तर पर 2 बिलियन लोग आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों के खतरे में हैं।
आयोडीन की कमी को रोकने में मदद करने के लिये इसे घरेलू नमक में मिलाया जाता हैं।
» भारत में वर्ष 1992 में मानव उपभोग के लिये आयोडीन युक्त नमक को अनिवार्य किया गया था। इस अनिवार्यता को वर्ष 2000 में शिथिल कर दिया गया, परंतु 2005 में इसे फिर से लागू कर दिया गया।
वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने भी आयोडीन की कमी के नियंत्रण के लिये इसके उपयोग को अनिवार्य कर दिया था। आयोडीन की आवश्यकता क्यों
* थायराइड ग्रंथि (Thyroid Gland) के माध्यम से हमारे शरीर के उचित कामकाज और विकास को पूरा करने के लिये हमें आयोडीन की आवश्यकता होती है।
हमारे शरीर में लगभग 70-80 प्रतिशत आयोडीन थायराइडग्रंथि में मौजूद होता है और इसका उपयोग थायराइडहार्मोन (Thyroid Hormones) बनाने के लिये किया जाता है।
> भोजन से आयोडीन को थायराइडग्रंथि द्वारा अवशोषित किया जाता है ताकि थायराइड हार्मोन का उत्पादन किया जा सके जो हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्यों को विनियमित करने हेतु ज़िम्मेदार है।
शरीर के विकास के लिये
शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिये
प्रजनन के लिये मांसपेशियों और तंत्रिकाओं के लिये
हृदय की गति को नियंत्रित करने के लिये
आयोडीन की कमी के प्रभाव
> आयोडीन की कमी से थायराइडग्रंथि की कार्यक्षमता बाधित होती है जिससे या तो थायराइडग्रंथि का आकार बढ़ जाता है या फिर उसकी गतिविधि अपेक्षाकृत कम हो जाती है। थायराइडग्रंथि की गतिविधि का कम हो जाना हाइपोथायराइडिज्म
(Hypothyroidism) कहलाता है।
जो लोग हाइपोथायराइडिज्म से पीड़ित होते हैं उनका वजन बढ़ने लगता है एवं उन्हें वज़न घटाने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोग जल्द ही थका हुआ महसूस करते हैं एवं उन्हें ठंड भी अपेक्षाकृत काफी जल्दी लगती है। » गर्भावस्था के दौरान माँ और बच्चे दोनों के लिये आयोडीन की कमी खतरनाक साबित हो सकती है।
» गर्भावस्था के दौरान आयोडीन की गंभीर कमी के कारण गर्भपात की भी संभावना रहती है। शोधों के अनुसार, तकरीबन 100 में
से 6 गर्भपात के मामले आयोडीन की अत्यधिक कमी के कारण होते हैं।
रोकथाम हेतु उपाय
चूँकि हमारा शरीर स्वाभाविक रूप से आयोडीन नहीं बनाता है, इसलिये हमारा आहार हमें आयोडीन की उचित मात्रा प्रदान करने
में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) आयोडीन की कमी से निपटने के लिये अपने आहार में आयोडीन युक्त भोजन जैसे समुद्री भोजन, डेयरी उत्पाद, अंडे और मांस को शामिल करने की सिफारिश करता है।
होम्योपैथिक दवाओ से उपचार- लक्षणानुसार चिकित्सक के देख-रेख में आयोडियम, कल्केरिया फास, सैलिसिया, बेलाडोना, लाइकोपोडीयम, थूजा, थाइरेडीनम, सल्फर, फाइटोलैक्का आदि दवाये लाभप्रद हो सकती है।
– डॉ. वी. के. वर्मा।
आयुष चिकित्साधिकारी