🛑 🛑 ओ३म् 🛑 🛑
🟣 नवरात्रि सातवां दिन 🟣
आज 🏇 मां दुर्गा जी की 🥣सप्तम दिवस की नवरात्रि व्रत कथा 🥣 में आप सभी आर्य पुत्रों/पुत्रियों व पितरों 👀[[ध्यान रहे मरे हुओं को पितर नहीं कहते अपितु जीवित दादा/दादी, पितामह/पिता मही व बुजुर्गों को ही पितर कहते हैं]]👀का हार्दिक स्वागत है।आज जिस मातृशक्ति का प्रादु र्भाव देवी के रूप में गृहस्थाश्रम में होता है उसका नाम है *जाया*
🪺 सातवीं देवी-जाया 🪺
🌱 जननी जनि प्रादु र्भावे🌱 अर्थात् जो हिंदी भाषा में जननी कहाती है उसे ही संस्कृत भाषा में 🤱जाया🤱कहते हैं।
कल्पना करो–🫄 यदि संसार के सारे पुरुष समाप्त हो जायें तो सृष्टि उसी समय समाप्त हो जाये !फिर भी सृष्टि चल सकती है, क्योंकि कोई न कोई देवी अवश्य गर्भवती होगी वो🤱 जननी 🤱बनकर सृष्टि को चालू कर देगी।मगर यदि संसार की सभी जननियां समाप्त हो जाये तो सृष्टि उसी समय समाप्त हो जायेगी ।इसी से आप अनुमान लगा सकते हैं कि 🤱देवी जाया🤱की भूमिका कितनी महान है सृष्टि के लिए।
🤱 जाया की महिमा 🤱
हे ईश्वर! तूने पानी को दरिया में जगह दी !
गुल को गुलशन में जगह दी !
तू उसको जन्नत में जगह देना प्रभू! जिसने मुझे [९ ]माह पेट में जगह दी !!!
इसी🤱 जाया 🤱से हर मानव को प्रातः होती है 🧑🦳 काया 🧑🦳 जब इसकी होगी
सेवा।तभी कटेगी 👩❤️👩 माया 👩❤️👩
* इति सप्तमो sध्याय: *
आचार्य सुरेश जोशी
🪷🪷 एवं 🪷🪷
पंडिता रुक्मिणी जोशी वैदिक
भजनोपदेशिका बाराबंकी।।