आत्म अनुसंधान से ही सत्य का ज्ञान है : डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि।

 

 

 

कुरुक्षेत्र, 13 अक्तूबर : भगवान श्री कृष्ण के मुखारविंद से उत्पन्न गीता की जन्मस्थली, तीर्थों की संगम स्थली एवं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में चल रही देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा के 16 वें दिन व्यासपीठ से महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने बताया कि महारास भागवत का मौलिक प्रकरण है। महारास के पंच अध्याय भागवत के पंच प्राण हैं। आत्मा ही सच्चिदानंद है। शुक्रवार  की कथा प्रारम्भ से पूर्व यजमान परिवार ने महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज के सानिध्य में भारत माता एवं व्यासपीठ का पूजन व आरती की।
कथा व्यास महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि मनुष्य सत्य की खोज में भटकता रहता है। जबकि आत्म अनुसंधान से ही सत्य का ज्ञान है। उन्होंने बताया कि मानव सोते हुए अवस्था में रहता है। जागते हुए बाहरी संसारिक मोह माया में खो जाता है। मनुष्य संसारिक मोह माया में स्वयं को ही मूल जाते हैं। जब स्वयं को जानते हैं तो पता चलता है हमारा केवल शरीर व आत्मा है। आत्मा ही हमारी चेतना व ज्ञान है। इस मौके पर प्रेम नारायण शुक्ल, पुष्पा शुक्ला, जटा शंकर, मनुदत्त कौशिक, विष्णु दत्त शर्मा, सतपाल शेरा, डा. पुनीत टोकस, कुसुम सैनी, कविता तिवारी, डा. दीपक कौशिक, डा. सुनीता कौशिक, प्रेम नारायण अवस्थी, भूपेंद्र शर्मा, भारत भूषण बंसल इत्यादि भी मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *