जिला जेल के बंदी हुनरमंद बनकर निकलेंगे

बस्ती 13 अक्टूबर अपराध की दुनिया में कदम रख चुके लोगों को हुनरमंद बनाकर बेहतर जिंदगी देने का कार्य जेल प्रशासन की ओर से किया जा रहा है। विभिन्न आपराधिक केस में जेल में निरुद्ध बंदियों का कौशल विकास किया जा रहा है। कार्यक्रम के दूसरे चरण में 40 महिला-पुरुषों को रोजगार का प्रशिक्षण दिया जाना है, ताकि बाहर निकलने के बाद वह सम्मानजनक तरीके से रोजी-रोटी कमा सकें। चोरी, लूट,डकैती व हत्या आदि के संगीन मामलों में जेल में बंद आरोपियों को बेहतर जीवन देने के लिए कौशल विकास मिशन का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। प्रदेश सरकार की कौशल विकास योजना के दूसरे चरण में बंदियों को दो बैच में प्रशिक्षण दिया जाना है। इस बार 20 महिला बंदियों को कढ़ाई-बुनाई का प्रशिक्षण दिया जाएगा। पहले चरण में 20 महिलाओं को सिलाई भी सिखाई जा चुकी है। वहीं 20 पुरुष कैदियों के बैच को इलेक्ट्रिक रिपेयरिंग व फर्नीचर आदि बनाने का प्रशिक्षण दिया जाना है। ऐसे में जेल से सजा पूरी कर छूटने के बाद बंदी अपने इस हुनर से खुद का व्यवसाय कर दूसरों को भी रोजगार से जोड़ सकेंगे। कारागार के अधीक्षक विवेकशील त्रिपाठी ने बताया कि बंदियों को कौशल विकास के तहत हुनरमंद बनाने के लिए अलग अलग ट्रेड से जुड़े कार्यों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ताकि सजा पूरी करने के बाद इन्हें भरण पोषण के लिए परेशानी न उठानी पड़े। इस दौरान जेल परिसर में ही आधार कार्ड बनवाने की सुविधा भी मुहैया कराई जा रही है।
जेल में कौशल विकास मिशन के तहत बंदियों के प्रशिक्षण के बाबत पूछे जाने पर डीएम अन्द्रा वामसी ने बताया कि बंदियों का स्किल डेवलप करने के लिए उन्हें चयनित कर प्रशिक्षण दिलाने का निर्देश जेल अधिकारियों को दे दिया गया है। उन्होंने बताया कि जब वे कौशल विकास मिशन के निदेशक थे तब तक कुल सात हजार बंदियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

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