दिल का कमरा आपके ही नाम है मेरे हुजुर, शाइरा पूनम विश्वकर्मा

दिल का कमरा आपके ही नाम है मेरे हुजुर, शाइरा पूनम विश्वकर्मा,,,,,,

अनुराग लक्ष्य, 4 नवंबर

सलीम बस्तवी अज़ीज़ी

मुम्बई संवाददाता ।

अदब की महफिलों में जब ग़ज़ल यह मुस्कुराती है,

हर इक दिल में वफ़ा और प्यार की शम्मा जलाती है ।

ग़ज़ल इस ज़िंदगी की भीड़ में राहत का सामाँ है ,

वफ़ा की चाँदनी बनकर हमें अक्सर लुभाती है ।।

मैं सलीम बस्तवी अज़ीज़ी आज इस न्यूज़ को लिखते वक्त अपने अशआर से इस लिए शुरू कर रहा हूँ। जिसकी वोह सच्ची हकदार भी हैं। जिनके कलाम में कभी मीना कुमारी का दर्द झलकता है तो कभी परवीन शाकिर की संजीदगी झलकती है साथ ही कभी कभी अना देहलवी और शबीना अदीब की रूमानियत की खुशबू भी हमें महसूस कराती है।

एक खूबसूरत सूरत और सीरत के साथ अपने मेयारी कलाम के ज़रिए मुंबई और आस पास के मुशायरों और कविसम्मेलनों में अपनी खास उपस्थित दर्ज कराने वाली शाइरा पूनम विश्वकर्मा आज बहुत अच्छी मकबूलियत हासिल कर चुकी हैं। जिन्हें अनुराग लक्ष्य परिवार आज खुसूसी तौर पर उनकी एक खास ग़ज़ल के साथ आपसे रूबरू करा रही है।

1/ कह रही हैं धड़कनें जज़्बा _ बयानी कीजिए,

जो अधूरी रह गईं पूरी कहानी कीजिए ।

2/ हम भी नज़रों से करेंगे आपसे इज़हार ए इश्क़,

आप भी इकरार आँखों की ज़बानी कीजिए ।

3/ दिल का कमरा आपके ही नाम है मेरे हुजुर,

हसरतों की आरज़ू है मेज़बानी कीजिए ।

4/ हिज़्र की शब में सनम दूभर है लेना सांस तक,

प्यार से महका के इसको रात रानी कीजिए ।

5/ तीरगी की कैद में मायूस है ,पूनम, का चाँद,

आफताब ए इश्क़ थोड़ी मेहरबानी कीजिए ।

पेशकश, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी

मुम्बई संवाददाता ।