मेरी हिंदी हिन्द की जान है, इस पर हमको अभिमान है, है राम की मर्यादा इसमें तो सीता की पहचान है, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,,,,,,,
अनुराग लक्ष्य, 14 सितंबर
मुम्बई संवाददाता ।
लीजिए साहब आ गया 14 सितंबर, सरकारी कार्यालयों से लेकर साहित्यिक और सामाजिक संगठनो तक आज विविध कार्यक्रमों की धूम रहेगी। लोग अपने अपने संस्थानों को हिंदी दिवस से सुसज्जित करने का भरपूर प्रयास करेंगे। बड़ी बड़ी संख्याओं मे लोग बड़े पैमाने पर हिंदी के उत्थान की बात भी करते नजर आएंगे।
यह तो सारी बातें तो बहुत अच्छी हैं। लेकिन क्या पूरे देश में हिंदी को जो अस्थान और सम्मान मिलना चाहिए। क्या वह मिल रहा है। आखिर इस बिंदु पर कब चर्चा होगी। कब देश के हर प्रान्त में हिंदी को वोह सम्मान मिलेगा जिसकी वोह सच्ची हकदार है।
एक सलीम बस्तवी अज़ीज़ी के कहने और मानने से क्या हिंदी को वोह सम्मान मिलेगा कि,
,,,,,, मेरी हिंदी हिन्द की जान है,
इस पर हमको अभिमान है ।
है राम की मर्यादा इसमें और सीता की पहचान है ।
क्यों गर्व करें न हम इस पर,
यह देश की अपने शान है ।
आओ इसको अनिवार्य करें,
इसमें सबका सम्मान है।,,,,,
समय आगया है कि देश के प्रधान मंत्री से लेकर हर प्रान्त के मुख्य मंत्री इस बात पर विचार करें। कि हम जिस हिंदी को राष्ट्र भाषा मानते हैं, वोह इस देश के किन किन प्रांतों में सम्मान से ज़िंदा है।