23 जुलाई 2025, बुधवार – हिंदी भाषा और साहित्य के वैश्विक प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित संस्था हिंदी साहित्य भारती (वैश्विक) ब्रज प्रांत इकाई के तत्वावधान में सावन पर आधारित प्रथम ऑनलाइन सावनोत्सव काव्य गोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। यह सृजनात्मक आयोजन 4:00 बजे सायं से लेकर रात्रि 7:00 बजे तक अविरत रूप से चला।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस वाणी वंदना के साथ हुआ, जिसे प्रसिद्ध साहित्यकारा डा. निधी बोथरा जैन ने अपनी मधुर वाणी में प्रस्तुत किया। इसके उपरांत इकाई अध्यक्ष डा. ओम ऋषि भारद्वाज ने संस्था के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हिंदी साहित्य भारती की भारत समेत 36 देशों में सक्रिय शाखाएं हैं और यह संस्था “मानव बन जाए जग सारा” के पावन संकल्प के साथ सतत साहित्यिक सेवा में रत है।
मुख्य अतिथि सुधीर श्रीवास्तव एवं अध्यक्षता कर रहीं डा. निधी बोथरा जैन सहित अनेक विशिष्ट साहित्यकारों ने कार्यक्रम की गरिमा को और ऊँचा किया। डा. मधुसूदन तिवारी, शिवनाथ सिंह शिव, अवधेश श्रीवास्तव, रामदेव राही, कृष्ण कुमार गुप्ता, नीलम रानी सक्सेना, सुखराम शर्मा, राम अवतार ‘राम’, बसंत श्रीवास , मोनिका वर्मा, डॉ अनुराधा, शिव कुमार सिंह, बल राम सरस, डॉ नमिता सिन्हा, प्रेम लाल किशन, अविनाश खरे, श्रीपति रस्तोगी, अनीता वाजपेई, डॉ अंजू कमलेश, सुरेश कुमार वांछोर, ललित कुमार कुलश्रेष्ठ, कृष्ण कांत पांडेय, कृष भारद्वाज आदि साहित्यकारों ने संस्थान की प्रशंसा करते हुए अपने सहयोग की प्रतिबद्धता दोहराई।
कार्यक्रम के विशेष प्रेरणास्रोत संस्था के संस्थापक एवं पूर्व शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार डा. रवीन्द्र शुक्ल ने अपने संदेश में डा. जयंती प्रसाद नौटियाल के हवाले से कहा कि हिंदी आज विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में प्रथम स्थान पर है, और यह गर्व का विषय है कि संस्था इसके प्रचार-प्रसार हेतु सतत प्रयासरत है। उन्होंने सभी भारतीय भाषाओं के प्रति सम्मान और समन्वय का संदेश भी दिया।
साहित्यिक उत्सव में 27 कवियों-कवयित्रियों ने अपनी सावन विषयक भावपूर्ण, श्रृंगारिक और भक्ति रस से ओतप्रोत कविताओं से गोष्ठी को अभूतपूर्व ऊँचाइयों तक पहुँचाया। संचालन की जिम्मेदारी डा. आभा गुप्ता, डा. बसंत श्रीवास ‘वसंत’ तथा डॉ अनीता वाजपेई ने कुशलता और सजीवता के साथ निभाई, जिससे मंच सशक्त रूप में संचालित हुआ।
इस साहित्यिक संगोष्ठी की सफलता में संस्था के वरिष्ठ पदाधिकारी, कार्यकर्ता, और शुभचिंतकों की गरिमामयी उपस्थिति तथा सक्रिय सहभागिता सराहनीय रही। अंत में संस्थापक डा. रवीन्द्र शुक्ल ने आशीर्वचन प्रदान करते हुए विश्वास जताया कि इस प्रकार की काव्य गोष्ठियों का क्रम आगे भी अनवरत जारी रहेगा।
समापन अवसर पर इकाई अध्यक्ष डा. ओम ऋषि भारद्वाज ने कल्याण मंत्र के साथ डॉ रवींद्र शुक्ल जी, डॉ निधि बोथरा जैन जी, डॉ सुधीर श्रीवास्तव जी तथा समस्त प्रतिभागियों, श्रोताओं एवं साहित्य मनीषियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए गोष्ठी की औपचारिक समाप्ति की घोषणा की।