गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में जीवन में गुरु का महत्व व गुरु की अविस्मरणीय सीख उन्मुक्त उड़ान मंच पर सांझा की गई

उन्मुक्त उड़ान साहित्यिक मंच के साप्ताहिक कार्यक्रम में इस सप्ताह “जीवन में गुरु का महत्व व गुरु की अविस्मरणीय सीख” विषय पर आयोजन किया गया, जिसकी संस्थापिका एवं अध्यक्षा डॉ. दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ हैं।आयोजन प्रभारी डॉ. स्वर्णलता सोन ‘कोकिला’ के समन्वय में रचनाकारों ने अपने गुरुवर से प्राप्त अमूल्य सीखों को सुनहरी संस्मरणों में प्रस्तुत किया।

डॉ. दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ ने कहा कि गुरु न केवल ज्ञान का स्रोत हैं, बल्कि चरित्र व संस्कार के निर्माता, शिष्य में छिपी संभावनाओं को पहचानकर आत्मबल व आत्मविश्वास से भरनेवाले पथ प्रदर्शक भी हैं। उन्होंने विस्मृत न होने वालों में शामिल “प्रथम गुरु—माँ” की भूमिका पर विशेष प्रकाश डाला, जिन्होंने बिना शब्दों के जीवन के प्रथम पाठ—बोलना, चलना, खाना, मुस्कुराना और साथ ही सदाचार, नैतिकता, प्रेम, क्षमा, सेवा व धैर्य—सौंपे।

प्राथमिकता गुरु-शिष्य संबंध की “द्वितीय पाठशाला” के रूप में हमारे शिक्षकों को दी गई, जिन्होंने अक्षर ज्ञान के साथ विचार-निर्देशन, भविष्य निर्माण और प्रेरणा की मशाल बनकर संस्कारों का संवाहन किया।

कार्यक्रम के दौरान प्रत्येक रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए सुनीता तिवारी, संजीव भटनागर ‘सजग’, अशोक दोशी ‘दिवाकर’, डॉ. पूनम सिंह , सुरेन्द्र बिंदल, परमा दत्त झा, मनजीभाई बवलिया, डॉ स्वर्ण लता सोन ‘कोकिला’, अरुण ठाकर ‘जिंदगी’, फुलचन्द्र विश्वकर्मा ‘भास्कर’, सुरेश सरदाना, वीना टण्डन ;पुष्करा’, नीरजा शर्मा ‘अवनि’, किरण भाटिया ‘नलिनी’, अनु तोमर ‘अग्रजा’, सरिता कुमार, उदय सिंह कुशवाहा, नीति अग्रवाल, कुसुम लता तरुषि, राज कुमार मानव, अंजाना व्यास, सुरेश चंद्र जोशी सहयोगी सहित 20 रचनाकारों ने अपनी संस्मरणों से उन्मुक्त उड़ान मंच के पटल को महकाया।

सप्ताह में रचनाकारों ने क्षमा विषय पर अपनी घनाक्षरी से भावों को व्यक्त किया| तत्पश्चात गुरु पुर्णिमा के पावन पर्व पर रचनाकारों ने दोहवाली के माध्यम से गुरुओं का वंदन और सम्मान पुष्प अर्पण किए| | उन्मुक्त उड़ान मंच का यह साप्ताहिक आयोजन “गुरु महिमा” और “शिष्य आत्ममंथन” की अनवरत धारा को अमिट रखते हुए पाठकों व रचनाकारों को प्रेरणा देता रहेगा।

कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागी रचनाकारों को विशेष सम्मान-पत्र प्रदान किए गए, जो नीरजा शर्मा ‘अवनि’ और नीतू रवि गर्ग ‘कमलिनी’ द्वारा संयोजित और प्रारूपित किए गए। सुरेश चंद्र जोशी ‘सहयोगी; अशोक दोशी”दिवाकर”द्वारा की गयी हर आयोजन की समीक्षा और कृष्णकांत मिश्र ‘कमल’ एवं संजीव कुमार भटनागर ‘सजग’ द्वारा विज्ञप्ति के लिए रचनाओं का संकलन और विश्लेषण कार्यक्रम की सफलता के नए मापदंड रचते हैं|