अनुराग लक्ष्य, 14 मई
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता।
जिस भी कश्ती के मुहफ़िज़ तुम बनो हरगिज उसे,
साँस भी थम जाए गर न छोड़ना मझधार में ।
मंज़िलें उनके ही क़दमों में ठहरती हैं सलीम,
जोड़ लेता है जो खुद को वक्त की रफ्तार में ।।
जी हाँ , यही सच है, और यह सच साबित हुआ है मुंबई की सरजमीन पर जहाँ उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले से निकलने वाली मासिक पत्रिका अनुराग लक्ष्य को मुंबई वासियों की तरफ से भरपूर सम्मान प्यार और स्नेह मिल रहा है। और इसका श्रेय जाता है अनुराग लक्ष्य मासिक पत्रिका के संपादक विनोद कुमार उपाध्याय को जिनकी अथक प्रयास और कोशिशों से पत्रिका को देश के समस्त राज्यों सहित आर्थिक नगरी मुंबई में भी भरपूर प्यार और स्नेह मिल रहा है।
अभी हाल ही में मुंबई की बहुचर्चित सामाजिक संस्था , मानव कल्याण संघर्ष मंच फाउंडेशन एवं राह ए फलाह क़ौम ओ मिल्लत फाउंडेशन के रूह ए रवाँ नईम खान ने अनुराग लक्ष्य मासिक पत्रिका को जो स्नेह और प्यार दिया उससे मैं अभिभूत हूं।
संसथा के रूह ए रवाँ नईम खान ने अनुराग लक्ष्य पत्रिका को उत्कृष्ट पत्रिका बताते हुए अनुराग लक्ष्य के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
और, तब इस मुकाम पर आकर मैं सलीम बस्तवी अज़ीज़ी यह कहने के लिए मजबूर हूं कि,
पड़े जो रोशनाई कम तो खूं से काम तुम लेलो
जो क़िस्मत साथ न दे तो जुनूँ से काम तुम लेलो ।
अगर दोनों तुम्हारी राह के साथी न बन पाएं,
तो सजदे में झुका के सर सुकूँ से काम तुम लेलो ।।