श्री लक्ष्मणकिला में 108 बटुकों का भव्य उपनयन संस्कार सम्पन्न

 

वैदिक परंपरा को जीवंत करते हुए आचार्यपीठ श्री लक्ष्मणकिला, अयोध्या में वैशाख कृष्ण प्रतिपदा तिथि (14 अप्रैल 2025) को 108 बटुकों का दिव्य उपनयन संस्कार संपन्न हुआ। यह आयोजन श्री लक्ष्मणकिलाधीश महंत मैथिली रमन शरण जी महाराज की अध्यक्षता और अधिकारी सूर्यप्रकाश शरण जी के संयोजन में सम्पन्न हुआ।

संस्कार कार्यक्रम का संचालन श्री रामलला वैदिक गुरुकुल पाठशाला के आचार्यगणों द्वारा संस्थापक आचार्य सदाशिव तिवारी जी के नेतृत्व में किया गया। इस पावन अवसर पर कानपुर से पधारे महंत सीताकांत शरण, सतगुरु कुटी के महंत अवध किशोर शरण, महंत अमित कुमार दास, आचार्य शिवशंकर बाजपेई, महंत अवध बिहारी शरण, आचार्य ऋषि शरण, काशी से पधारे आचार्य प्रियांश धर द्विवेदी एवं आचार्य आलोक मिश्र वशिष्ठ दास सहित अनेक विद्वान आचार्यगण एवं श्रद्धालु उपस्थित रहे।

सूर्यप्रकाश शरण जी ने जानकारी देते हुए बताया कि यह संस्कार वैदिक जीवन की आधारशिला है, जो ब्रह्मचर्य आश्रम में प्रवेश का संकेत देता है। सभी बटुकों को विधिपूर्वक मंत्र दीक्षा दी गई और यज्ञोपवीत धारण कराया गया।

इस अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पवित्र श्लोक “ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं…” के साथ यज्ञोपवीत धारण कराया गया। यह उपवीत नौ धागों से निर्मित होता है, जो तीन गुणों (सत्व, रज, तम) और त्रिदेवों का प्रतिनिधित्व करता है। यह शक्ति, तेज और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है।

सैकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालु शिष्यगणों ने वैदिक परंपराओं को जीवंत होते देखा और इस दिव्य आयोजन का हिस्सा बनकर पुण्य लाभ अर्जित किया। आयोजकों ने बताया कि उपनयन, हिंदू जीवन पद्धति के 16 संस्कारों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्कार है, जो व्यक्ति को अध्ययन, अनुशासन और आत्मिक साधना की ओर प्रेरित करता है। कार्यक्रम का समापन सामूहिक भोजन प्रसाद वितरण और आचार्यों के आशीर्वाद के साथ हुआ।