गांव की समस्या का गांव में समाधान: उप मुख्यमंत्री

लखनऊ उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में जनसमस्याओं के त्वरित और स्थायी समाधान के लिए सरकार ने एक प्रभावशाली पहल की है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व और निर्देशन में प्रदेश के प्रत्येक विकास खंड की दो ग्राम पंचायतों में प्रत्येक शुक्रवार को “ग्राम चौपाल—गांव की समस्या, गांव में समाधान” कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस पहल से न केवल ग्रामीणों की व्यक्तिगत समस्याओं का निस्तारण उनके द्वार पर हो रहा है, बल्कि सामाजिक और सामूहिक मुद्दों का समाधान भी प्राथमिकता से किया जा रहा है।उप मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि चौपालों का आयोजन सुव्यवस्थित और नियमित रूप से किया जाए। प्रत्येक ग्राम चौपाल से पहले ग्राम में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, और अधिक से अधिक ग्रामीणों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।ग्राम चौपालों के माध्यम से राज्य सरकार सीधे गाँव और गरीबों के दरवाजे तक पहुंच रही है। इन आयोजनों से ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं की जानकारी मिल रही है और उनके क्रियान्वयन में भी तेजी आ रही है। ग्रामों में चल रही परियोजनाओं की वास्तविक स्थिति का आंकलन भी इन चौपालों से संभव हो रहा है।प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत पात्र लाभार्थियों के चयन में भी चौपालों की भूमिका को महत्वपूर्ण माना गया है। ग्राम सभाओं में पारदर्शी चयन प्रक्रिया के लिए यह चौपाल एक उपयोगी मंच बनकर उभरी हैं। पहले पात्र लोगों का चयन 31 मार्च 2025 तक किया जाना था, जिसे अब बढ़ाकर 30 अप्रैल 2025 कर दिया गया है।ग्राम्य विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीते शुक्रवार को प्रदेश की 1181 ग्राम पंचायतों में ग्राम चौपालों का आयोजन किया गया। इन चौपालों में 2813 मामलों का निस्तारण मौके पर ही कर दिया गया। कार्यक्रम में 2813 ब्लॉक स्तरीय अधिकारी एवं कर्मचारी तथा 5137 ग्राम स्तरीय कर्मचारी मौजूद रहे। चौपालों में 59 हजार से अधिक ग्रामीणों ने सहभागिता की, जो इस योजना की व्यापक स्वीकार्यता और प्रभावशीलता को दर्शाता है।आयुक्त ग्राम्य विकास विभाग जी.एस. प्रियदर्शी ने बताया कि जनवरी 2023 से अब तक एक लाख 34 हजार से अधिक ग्राम चौपालों का आयोजन किया जा चुका है, जिनमें 89 लाख 68 हजार से अधिक ग्रामीणों ने भाग लिया और 4 लाख 93 हजार से अधिक प्रकरणों का मौके पर ही निस्तारण किया गया है।सरकार की यह पहल ग्राम्य विकास के क्षेत्र में एक सशक्त और संवेदनशील कदम के रूप में देखी जा रही है, जो न सिर्फ प्रशासन को गांवों से जोड़ रही है, बल्कि लोगों को विश्वास भी दिला रही है कि उनकी समस्याएं अब उनके गांव में ही हल होंगी।