*वाटसप गुरुकुल कक्षा-५*-आचार्य सुरेश जोशी

🌹🌹ओ३म् 🌹🌹
*वाटसप गुरुकुल कक्षा-५*
ज्ञानकुंभ में स्नान करते समय कक्षा-४ में हम अध्ययन कर रहे थे *ब्रह्माण्ड के दूसरे तत्व मन* के बारे में।योगदर्शन व सांख्यदर्शन में मन के लिए चित्त व बुद्धि का भी प्रयोग किया गया है। इस प्रकार ये मन भी शरीर की तरह जड़ ही है।गतांक से आगे…………..……..
आज हम चर्चा करते है मन की पांच अवस्थाओं वा चित्त की पांच भूमिकाओं की।
*मन की प्रथम अवस्था क्षिप्त मन*
जीवात्मा जिस समय मन को अनेक विषयों में बहुत तेजी से दौड़ाता है उस *क्षिप्त मन* कहते हैं।जितने भी हानि कारक काम दुनियां में हो सकते हैं उन सबको क्षिप्त मन कर डालता है।इस समय में रजोगुण हावी होता है सतोगुण व तमोगुण गौण रहता है।
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*मन की दूसरी अवस्था मूढ़ मन*
जब आपको यानि जीवात्मा को आलस्य,निंद्रा,तंद्रा,मूर्खता घेरे।कोई भी विशेष ज्ञान न हो रहा है इसी स्थिति का नाम है *मूढ़ मन*। तमोगुण अधिक व सतोगुण और रजोगुण गौण रहते हैं।
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*मन की तीसरी अवस्था विक्षिप्त मन*।
जब आप आप किसी काम में मन को लगाते हैं।मन को एकाग्र करना चाहते हैं सफलता भी मिलती है अचानक बाहर से दो प्रकार से बाधा आकर आपकी एकाग्रता को भंग कर देती है उसी को *विक्षिप्त मन* कहते हैं।इसमें सतोगुण प्रधान रहता है।तमोगुण गौण व कभी-कभी रजोगुण होता हे।यह बाधाएं दो प्रकार की हैती हैं।
*[१]* बाह्य बाधाएं-अधिक तेज ध्वनि,अधिक स्पर्श,अधिक गंध आदि।
*[२]* आभ्यांतर बाधाएं– स्मृति,आलस्य,निंद्रा तंद्रा, संशय आदि।
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*मन की चौथी अवस्था एकाग्र*
जब ईश्वर भक्त *विवेक,वैराग्य,अभ्यास द्वारा अपने लक्ष्य पर अधिकार पूर्वक लंबे समय तक स्थिर कर लेता है इसी को *एकाग्र मन* कहते हैं।इसमें सतोगुण प्रधान होता है।रजोगुण व तमोगुण गौण होते हैं।
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*मन की पांचवी स्थिति*
जब योगी सम्प्रज्ञात समाधि की ऊंची स्थिति को प्राप्त कर *पर वैराग्य* से इस अवस्था को भी त्याग देता है तब उसकी समस्त मन की वृत्तियों का नाश हो जाता है इसी को निरुद्ध मन कहते है तब मोक्ष की प्राप्ति होती है।
🏵️ *विशेष ज्ञातब्य*🏵️
ज्ञानकुंभ में स्नान करने पर पता चला कि जिनका *मन क्षिप्त,मूढ़ व विक्षिप्त* है वो कितना ही नदियों में स्नान कर ले उसके *पाप नहीं कटते*
अब रही बात *एकाग्र व निरुद्ध मन* की बात।जिन्होंने *अष्टांग योग का पालन* कर अपने मन को निय़त्रित कर लिया है उनको नदी स्नान की आवश्यकता ही नहीं।
*छुप नहिं सकते पाप तुम्हारे!ओ मुरख नादान!*
*कि सब कुछ देख रहा भगवान!!*
शेष परिचर्चा अगली कक्षा में!……………..
आचार्य सुरेश जोशी
*वाटसप गुरुकुल महाविद्यालय* आर्यावर्त साधना सदन पटेल नगर दशहराबाग बाराबंकी उ०प्र०