-कुम्भकर्ण और मेघनाद के वध पर लगे भगवान के जयकारे
बस्ती। सनातन धर्म संस्था द्वारा चल रही श्री रामलीला महोत्सव के आठवें दिन के मंचन का शुभारंभ नित्य की भांति प्रभु श्री राम लक्ष्मण हनुमानजी के सजीव झांकी के समक्ष पूजन, आरती, स्तुति के साथ प्रारंभ हुआ आरती में मुख्य रूप से जिला चिकित्सालय बस्ती के अधीक्षक डॉ आलोक पांडेय, भाजपा जिलाध्यक्ष विवेकानंद मिश्र, राणा दिनेश प्रताप सिंह, नगर पंचायत नगर बाजार की अध्यक्ष राणा नीलम सिंह, डॉ अरविन्द मिश्र, डॉ नवीन सिंह, अंजनी श्रीवास्तव, हिमांशू पाण्डेय, तरुण श्रीवास्तव, मनीष सिंह, अंकुर यादव, चंदन सिंह, अतुल चित्रगुप्त, रमेश सिंह, विजय उपाध्याय, बैजनाथ मिश्र, विभा उपाध्याय, प्रमोद पाण्डेय, प्रमोद तिवारी, माया शुक्ल, प्रभा त्रिपाठी, नीलम श्रीवास्तव,सुस्मिता मन्ना आदि लोग उपस्थित रहे।
श्री रामलीला के प्रसंग में के द्वितीय भाग में लक्ष्मण शक्ति, कुम्भकर्ण वध, मेघनाद वध की लीला का मंचन राजन इंटरनेशनल एकेडमी के बच्चों द्वारा प्रस्तुत किया गया।
श्रीराम लीला प्रसंग में राजन इंटरनेशनल एकेडमी के 31छात्रों द्वारा लक्ष्मण शक्ति, कुम्भकरण वध एवं मेघनाद वध का मंचन प्रस्तुत किया गया।
वानरी सेना लंका पर आक्रमण कर देती है चारों ओर हाहाकार मच जाता है। तब रावण पुत्र मेघनाथ रणभूमि में आकर भयंकर युद्ध करने लगे मेघनाथ लक्ष्मण जी से भयंकर युद्ध करते समय ब्रह्म शक्ति का प्रयोग कर उन्हें मूर्छित कर लक्ष्मण जी को उठाने का प्रयास करते हैं फिर असफल होकर वहां से चले जाते हैं।
हनुमान जी लक्ष्मण जी को उठाकर प्रभु श्री राम के पास आते हैं प्रभु श्री राम लक्ष्मण की ये दशा देख अत्यंत व्याकुल हो जाते हैं। तब जामवंत सुषेन वैद्य को लाने का परामर्श देते हैं हनुमान जी सुषेन वैद्य को भवन समेत युद्ध स्थल पर ले आते हैं।
सुषेन वैद्य बताते हैं सुदूर द्रोणागिरी पर्वत पर संजीवनी बूटी प्रातः होने से पहले यदि आए तो लक्ष्मण के प्राण बच सकते हैं। तब बजरंगबली प्रभु श्री राम नाम का उच्चारण करते द्रोणागिरी पर्वत लेने को चल देते हैं, मार्ग में कालनेमि के माया को जान कर मगरी अप्सरा की सहायता से बजरंगबली उसका वध कर देते हैं। सूर्य अस्त होता देख बजरंगबली सूर्य को संबोधित कर कहते हैं ।
हे सूर्य ध्यान रखना इतना संकट अब सूर्यवंश पर है, लंका के नीचे राहु द्वारा आघात दिनेश वंश पर है।
इस प्रकार सूर्य देव को सचेत कर बजरंगबली द्रोणागिरी पर्वत पर संजीवनी बूटी की पहचान में अधिक भ्रमित हो जाने पर वह समूचे द्रोणागिरी पर्वत को लेकर चल देते हैं जब वह पर्वत ले अयोध्या के ऊपर से गुजर रहे होते हैं।
तब भरत जी अयोध्या की सुरक्षा को ध्यान रख बाण का संधान करते हैं, हनुमान जी राम-राम कहते मूर्छित होते हैं। प्रभु का नाम सुन रामभक्त जानकर भरत जी व्याकुल हो जाते हैं, बजरंगबली की मूर्छा टूटने के बाद हनुमान जी का परिचय प्राप्त करते हैं युद्व में लक्ष्मण की मूर्छा को जान चिंतित हो जाते हैं।
हनुमान जी युद्ध क्षेत्र में पहुंच संजीवनी प्रदान करते हैं। जिससे लक्ष्मण जी जीवित हो होते हैं, लक्ष्मण जी उठते ही पूरा पांडाल, लखन लाल की जय, हनुमानजी की जय, प्रभू श्री राम चंद्र की जय से गूँज उठा।
इस समाचार को प्राप्त होने पर रावण चिंतित होता है और अपने भाई कुंभकरण का आवाहन करता है।
कुम्भकर्ण ने भगवान श्री राम की महिमा और रावण के कुकृत्य के विषय मे उसे बहुत समझाया और कहा कि भाई तुम्हारे कारण अब लंका का विनाश निश्चित है।
रावण मांस, मदिरा आदि के माध्यम से उसकी बुद्धि भ्रमित कर देता है। श्री राम और कुम्भकर्ण का भयंकर युद्ध होता है। प्रभु श्री राम के हाथों उसकी मृत्यु होती है और भगवान के जयघोष से पांडाल गूँज उठता है।
पुनः मेघनाथ रणभूमि में आता है और श्री राम और लक्ष्मण जी को नाग पास में बांध देता है, तब प्रभु को नागपाश से छुड़ाने के लिए गरुड़ जी जाकर सांपों का भक्षण कर लेते हैं जिससे भगवान व लक्ष्मण दोनों मूर्छा से जग जाते हैं और रामादल जय घोष करने लगता है मेघनाद द्वारा किये जा रहे देवी निकुम्भला के अजेय यज्ञ को भेद लक्ष्मण जी मेघनाद का वध कर देते हैं।
पूरे पांडाल में भगवान का जयघोष के साथ भगवान की शयन आरती के साथ आठवें दिन की लीला का विश्राम हुआ।
प्रभा त्रिपाठी ने बताया राजन इंटरनेशनल एकेडमी की प्रबन्ध निदेशिका शिखा चतुर्वेदी के निर्देशन एवं संजीव पाण्डेय के संयोजन में छात्रों का पूर्वाभ्यास कराया गया था बच्चों का लक्ष्मण शक्ति, कुम्भकर्ण वध, मेघनाद वध जैसे विषयों पर मंचन से लोगो का मन मोह लिया।
एकेडमी के शिक्षक शिक्षिकाओं द्वारा बच्चों को कार्यक्रम के समापन के बाद बच्चों भोजन के उपरांत उनके घर भेजा गया। अमित मिश्रा, सौरभ पाण्डेय, मुशाहिद आज़म, प्रभा त्रिपाठी, श्रद्धा पाण्डेय, नीलम श्रीवास्तव, माया शुक्ला एवं भारी संख्या में अभिभावक भी मौजूद रहे।