सरकार के पास गेहूं का पर्याप्त स्टॉक, फिर भी कीमतें आसमान पर

 

भारतीय खाद्य निगम के केन्द्रीय पूल में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक होने के बावजूद इन दिनों गेहूं की कीमतों में निरंतर तेजी आ रही है। इसके बाद भी केन्द्र सरकार खुले बाजार में गेहूं की बिक्री टेंडर द्वारा नहीं कर रही है। यही कारण है कि जयपुर मंडी में मिल डिलीवरी दड़ा गेहूं नैट शुक्रवार को 3050 रुपए प्रति क्विंटल बिक गया।
उधर, दिल्ली में भी लॉरेंस रोड पर गेहूं की कीमतें 3200 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गई हैं। गेहूं महंगा होने से आटा, मैदा एवं सूजी के भाव भी रबर की तरह उछल रहे हैं। इतना सब होने के बाद भी सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
लक्ष्मी भोग आटा, मैदा, सूजी एवं बेसन के निर्माता नरेश चौपड़ा ने बताया कि पूर्व में सरकार द्वारा कहा गया था कि एक अगस्त से रोलर फ्लोर मिलों और आटा चक्कियों को टेंडर द्वारा गेहूं बेचा जाएगा। मगर जब 10 अगस्त तक गेहूं बेचने की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई तो फिर रोलर फ्लोर मिल एसोसिएशन ने सरकार से बात की, तो अक्टूबर में गेहूं बेचने की योजना बनाई गई। मगर अफसोस, वह समय आने से पहले सितंबर माह में ही 31 मार्च 2025 तक खुले बाजार में गेहूं बेचने की योजना को निरस्त कर दिया गया। और यही कारण रहा कि गेहूं में निरंतर आ रही तेजी को कोई नहीं रोक पा रहा है।
त्योहारी सीजन में बढ़ जाती गेहूं उत्पादों की खपत:
सभी जानते हैं कि त्योहारी सीजन और शादी के सीजन में गेहूं एवं गेहूं उत्पादों की खपत काफी तेजी से बढ़ जाती है। खासतौर पर फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री, फ्लोर मिल और बेकरी सेक्टर में गेहूं की डिमांड बढ़ जाती है। भारत में अक्टूबर से मार्च तक का समय त्योहारी सीजन का होता है। जिसमें दिवाली, छठ, क्रिसमस और मकर संक्रांति जैसे त्योहार आते हैं।
इन त्योहारों पर लोगों में आटे से बनी चीजें जैसे मिठाई, बिस्कुट तथा ब्रेड आदि की खपत बढ़ जाती है। इस बढ़ती खपत को पूरा करने के लिए मिलर्स और प्रोसेसर्स को अधिक से अधिक मात्रा में गेहूं खरीदना पड़ता है, जिससे गेहूं की मांग और बढ़ जाती है। गेहूं की आपूर्ति को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार ने ओपन मार्केट सेल के तहत अपने स्टॉक से गेहूं की बिक्री अभी तक शुरू नहीं की है।