पश्चिम बंगाल का निर्भया काण्ड -अजय दीक्षित

लगभग दस-बारह दिन बीत गये जबकि कोलकाता के एक अस्पताल में रात के वक्त एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार हुआ और उसकी वीभत्स तरीके से हत्या कर दी गई । कोलकाता की पुलिस व प्रशासन को जिस तेजी, फुर्ती, और तत्परता से छानवीन कर सुबह ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लेना चाहिए था, ऐसा नहीं हुआ । बहुत साल पहले दिल्ली में एक बालिका के साथ बलात्कार हुआ था और बाद में उसकी हत्या कर दी गई थी । उसके बाद उसे निर्भया काण्ड नाम दिया गया और महिलाओं और विशेष कर बालिकाओं के साथ होने वाले दुराचार पर सख्त कार्रवाई की योजना की गई थी । दुर्भाग्य है कि उसके बाद भी राज्य सरकारें नहीं चेती । उत्तर प्रदेश में हाथरस काण्ड हुआ अन्य राज्यों में भी ऐसे काण्ड होते रहे । राजनैतिक दल एक दूसरे पर आरोप लगाकर अपनी राजनीति चमकाते रहे हैं ।
अब कल ही ममता बैनर्जी ने मार्च निकालकर कोलकाता काण्ड के आरोपी को फांसी देने की मांग की है । बीजेपी इसे ममता सरकार की विफलता मान रही है । कांग्रेस के अधीर रंजन भी पश्चिम बंगाल से आते हैं । वे अभी तक लोकसभा में विपक्ष के नेता थे, ऑफीशियली नहीं । क्योंकि पिछली दो लोकसभाओं में कांग्रेस को कुल सांसदों का दस प्रतिशत भी नहीं मिला था । तो भी अधीर रंजन ही उन बैठकों में भाग लेते थे जहां विपक्ष के नेता एक सदस्य होते हैं । इस बार अधीर रंजन चौधरी चुनाव हार गये । यूं भी कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का पश्चिम बंगाल में परस्पर विरोध है । वहां इण्डिया गठबंधन नहीं कर रहा है ।
कोलकाता हाईकोर्ट ने भी पश्चिम बंगाल की सरकार को फटकार लगाई है कि उसने जांच ठीक से नहीं की । असल में ममता बैनर्जी को यह केस उसी दिन सी.बी.आई. को सौंप देना चाहिए था, परन्तु ममता बैनर्जी ने पुलिस को एक हफ्ते का समय दे दिया ।
अब इस काण्ड को लेकर देशभर की रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं । पूरे देश में अस्पतालों में ओ.पी.डी. बन्द हैं । मरीज परेशान हो रहे हैं । हर एक प्राइवेट डॉक्टर की फीस नहीं भर सकता ।
असल में कोलकाता के अस्पताल के प्रशासन की सरासर गलती है । रात को जो भी सीनियर स्टाफ है, प्रिंसिपल या उसके प्रतिनिधि को रात भर अस्पताल में क्या हो रहा है, उसकी जानकारी होनी चाहिए । फिर उस दिन रात को तो प्रिंसिपल भी मौजूद थे ।
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से पता चला है कि इस बलात्कार काण्ड में एक अकेला व्यक्ति नहीं था । कम से कम चार या पांच लोग शामिल थे । क्योंकि उनके वीर्य पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में मिले हैं । बलात्कार के साथ-साथ उक्त महिला डॉक्टर के साथ मारपीट भी की गई । उसके निशान भी पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में हैं ।
प्रिंसिपल ने उसी दिन इस्तीफा दे दिया और चार घण्टे के अन्दर उसे राज्य सरकार ने दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया । यह सही है न केवल पश्चिम बंगाल पर सभी राज्यों में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं । परन्तु ममता बैनर्जी की सबसे बड़ी गलती यह है कि इस काण्ड के बाद तुरन्त कार्यवाही नहीं की गई बल्कि लीपा-पोती की गई ! इसका क्या कारण है? क्या बलात्कारी टी.एम.सी. से जुड़ा है ? ऐसे भ्रष्टाचारी को पार्टी में जगह क्यों दी गई ।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने भी ममता बैनर्जी पर सवाल उठाये हैं । असल में सारा हिन्दुस्तान इसको ममता बैनर्जी की नाकामी मानता है । अभी भी समय है केन्द्र सरकार ऐसे बलात्कार के मामलों में चौबीस घण्टे में तहकीकात करके अगले दिन ही उसे फांसी के तख्ते पर चढ़ा दे । सभी देश की महिलाएं अपने को सुरक्षित मानेंगी । मोदीजी ने 15 अगस्त को लाल किले से जो भाषण दिया है, उसे आशा जगती है कि केन्द्र सरकार तुरन्त अध्यादेश लाकर ऐसे मामलों का 24 घण्टे में निपटारा करके, अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा या फांसी दे दे जिसे सभी टी.वी. चैनल दिखलाये ।