🐦⬛ ओ३म् 🐦⬛
*आर्य विदेशी थे इतिहास प्रदूषण*
प्रदूषण केवल वायु , जल, पृथ्वी पर ही नहीं होता। विचारों व साहित्य में भी प्रदूषण होता है। आज संपूर्ण विश्व में जो ✍️ भ्रष्टाचार,चरित्रहीनता, आरक्षण, आतंकवाद ✍️ फलता फूलता नजर आ रहा है उसका एक मात्र कारण है 👹 इतिहास प्रदूषण! ऐसा एक प्रदूषण भारतीय संस्कृति व सभ्यता के नाम पर सारे विश्व में चल रहा है उसका नाम है 📚 *आर्य यहां के मूल निवासी नहीं है अपितु विदेशी आक्रांता* थे। आज मैं इसी इतिहास प्रदूषण से भारत देश के नागरिकों को जगाना चाहता हूं। हर *राष्ट्र भक्त का परं कर्तव्य है कि इस सच्चाई को जानकर मौन न बैठै अपितु इस 🍁 सत्य सनातन विचार क्रांति 🍁 को जन जन तक पहुंचाने के लिए राष्ट्र के नाम आहुति दे।
🌼 *ऋग्वेद का प्रमाण*🌼
यह एक निर्विवाद सत्य है कि विश्व के पुस्तकालय में विश्व की सबसे प्राचीन पुस्तक *एकमात्र ऋग्वेद* है।इसी ऋग्वेद का मंत्र है।
*ओ३म् इद्रं वर्धन्तो अप्तुर: कृष्णवन्तोविश्वमार्यम् अपघ्नन्तो अराव्ण:।। ऋग्वेद मं०९/६३/५*
इसका अर्थ है हे दुनिया के समझदार लोगों को श्रेष्ठ मानव हैं उनकी संख्या बढ़ाओ और विश्व को *आर्य* बनाओ तथा जो अधर्मी है उनका सफाया करो! अर्थात् उनकी अविद्या का नाश कर विद्या में वृद्धि करके उन्हें भी स्वविवेक से आर्य बनने की प्रेरणा करो!
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*ओ३म् विजानी:आर्यान्वे च दस्यव: ऋग्वेद १/५१*
हे मनुष्यो! जो श्रेष्ठ है वो आर्य हैं इसके अतिरिक्त दस्यु,डाकू व मूर्ख हैं।
🪷 बाल्मीकि रामायण 🪷
*आर्य: सर्वसमश्चायम् सोमवत् प्रियदर्शन:।*
बाल्मीकि रामायण एक मात्र प्रामाणिक रामायण है जो महर्षि बाल्मीकि ने लिखी और जो श्रीराम के समकालीन थे वो लिखते हैं – *श्री राम आर्य, धर्मात्मा, समदर्शी, देखने में चंद्रमा जैसे प्रिय लगते हैं।*
🪷 गीता में आर्य 🪷
*कुतश्या कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम्।अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यम् अकीर्तिकरमर्जन्।। गीता अध्याय २/२*
कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध न कर जंगल जाने की इच्छा करने वाले अर्जुन को समझाते हुए योगेश्वर श्रीकृष्ण कहते हैं। हे अर्जुन! तुमको विषम स्थल में यह अज्ञान क्यों? यह विचार न तो तुमको [ स्वर्ग यानि सुख] देने वाला,न यश न ही यह आर्य पुरुषों का आचरण है।
🌸 *डां० अंबेडकर जी🌸*
सुप्रसिद्ध समाज सेवी आदरणीय डाक्टर भीमराव आंबेडकर की पुस्तक है Riting and Speach के Khand -7-Peage -70. Who is Shudra.
इस पुस्तक में उन्होंने लिखा है ———
*आर्य शब्द का अर्थ श्रेष्ठ और गुणवाची है यह मैं मानता हूं। आर्यों का मूल स्थान भारत ही है। कोई विदेशी इतना प्रेम इस देश व यहां की गंगा जमुना सरस्वती से नहीं कर सकता। शूद्र भी आर्य ही हैं। इनमें रंगभेद नहीं था। शूद्र वीर क्षत्रिय हुआ करते हैं।*
🌰 आर्य और गोल्डस्टकर🌰
पाश्चात्य दार्शनिक गोल्डस्टकर *BIBLE IN INDIA* में लिखते हैं। *आर्य भारत के मूल निवासी थे। सब विद्या व भलाईयों का देश आर्यावर्त है।सब विद्या व मत इसी देश से फैले हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि हे परमेश्वर! जैंसी उन्नति आर्यावर्त देश की पूर्वकाल में थी वैसी उन्नति हमारे देश की कीजिए ।*
🌳 महर्षि दयानंद व आर्य 🌳
महर्षि दयानंद सरस्वती हिंदी के सर्वप्रथम ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश में लिखते हैं कि *उत्तर में हिमालय। दक्षिण में विंध्याचल। पूर्व -पश्चिम समुद्र। पूर्व में कटक नदी पश्चिम में सरस्वती। हिमालय के मध्य रेखा से दक्षिण पहाड़ों के भीतर जितने देश हैं सब आर्यों ने बसाये इसीलिए इसे आर्यावर्त* कहते हैं।ये समस्त आर्य हिमालय के मानस क्षेत्र से तिब्बत होते हुए धर्म प्रचारार्थ विदेशों तक गए।
🌹 *भ्रांति कहां से आई 🌹?*
अब विचारणीय बिन्दु ये है कि जब आर्य भारत के मूल निवासी हैं तो यह भ्रान्ति कहां से पैदा हुई कि आर्य विदेशी आक्रांता थे?
🌻 *अंग्रेजों का षड़यंत्र*🌻
इस भ्रांति की जड़ में अंग्रेज थे। अंग्रेजों की नीयत में खोट था।आज से [सन् २०२४ ईश्वी ] से पूर्व यानि ३६० वर्ष पूर्व भारतीय शिक्षा पाठ्यक्रम में *अंग्रेजों ने जोड़ा कि आर्य विदेशी थे। जिस अंग्रेज अधिकारी ने यह 🏵️ इतिहास -प्रदूषण 🏵️ किया उसका नाम था विलियम जोन्स*
इसको व्यवहार में लाने का काम इटेलियन व्यापारी फिलिप्पो ने किया जो * सन् १५८३ से १५८८ तक भारत मे रहा। उसने घोषणा की भारत की प्राचीन भाषा तथा यूरोप की भाषाएं मिलती -जुलती हैं अतः आर्यों के पूर्वज यूरोप से आए मूलतः एक ही नस्ल के हैं।
🔥 *उत्कृष्ट समीक्षा*🔥
आर्य सबके पूर्वज हैं मगर आर्यों का कोई भी पूर्वज नहीं हैं *क्योंकि आर्य अमैथुनी सृष्टि के हैं* दूसरी बात यूरोप की किसी भी भाषा में आर्य का पर्यायवाची,बिगड़ा व विलोम शब्द भी नहीं है। भारत का *अनाड़ी* शब्द एतिहासिक है जो आर्य का अपभ्रंश है।
🌰 *यक्ष प्रश्न*🌰
* *यदि कोल ,द्रविण यहां के मूल निवासी थे और आर्य विदेशी थे और आर्य लोग बाहर से आये थे तो उनकी लिपि व भाषा क्या थी? एतिहासिक पुरुष कौन था? पूजनीय देवता कौन था? उनकी भाषा में देश का नाम क्या था? एतिहासिक विरासत क्या थी?* ये चीजें आज भी अनुत्तरित हैं और न ही खोजें गई हैं।
कुछ समय पूर्व पढ़ें लिखे द्रविड़ों ने अपना इतिहास लिखना शुरू किया परंतु उन्होंने अपना इतिहास किसी आचार्य के नाम से नहीं लिखा। *महर्षि अगस्त्य व महर्षि कण्व के चरित्र से प्रारंभ किया।* सत्यता यह है कि ये दोनों आर्य भाषा के शब्द हैं और वैदिक संस्कृति के ऋषि हैं अतः सिद्ध हो गया कि आर्य लोग बाहर से नहीं आये हां वो वैदिक संस्कृति को विश्व में फैलाने के लिए बाहर गए।उनका एक ही उद्घोष मंत्र था। *स्वयं आर्य बनो और संसार को आर्य बनाओ*।
यह व्याख्यान आज दिनांक २१/८/२०२४ को विहार प्रांत के जनपद मुजफ्फरपुर आर्य समाज मंदिर में दिया गया।
🌼 *कार्यक्रम संचालन*🌼
इस कार्यक्रम का सफल संचालन प्रोफेसर व्यास नन्दन शास्त्री जी ने किया। बाराबंकी से आमंत्रित वैदिक भजनोपदेशिका पंडिता रुक्मिणी जोशी ने 🍁 ओ३म् संकीर्तन 🍁 द्वारा लोगों को ईश्वर भक्ति की ओर प्रेरित करते हुए कहा जो परमात्मा के बनाये संसार में परमात्मा की बनाई वस्तुओं को भोगकर ईश्वर का धन्यवाद नहीं करता संध्या के द्वारा वो कृतघ्न और मूर्ख है।
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आचार्य सुरेश जोशी
*वैदिक प्रवक्ता*
कार्यालय कक्ष
आर्य समाज मंदिर मुजफ्फरपुर विहार।।