अनुराग लक्ष्य, 17 जुलाई
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता।
आज यौम ए आशूरा दसवीं मुहर्रम का वोह त्वरीखी दिन है। जिस दिन नेवास ए रसूल हजरत ए इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने मैदान ए करबला में शहादत का जाम पिया था। आज के इस खास दिन पर मोहतरम जनाब इमरान गोंडवी साहब का एक कलाम आपकी समा अतों के हवाले कर रहा हूं।
1/ किब्ला हुसैन का है, इमामत हुसैन की
महबूब है खुदा को इबादत हुसैन की ।
2/ होगा हर इक ज़बॉ पे क़सीदा हुसैन का
त्वारीख जब पढ़ेगी शहादत हुसैन की ।
3/ कातिल हुसैन पाक के इस गम में मर गए
सर मिल गया मिली नहीं बैअत हुसैन की ।
4/ नार ए जहीम मेरा मुकद्दर रहा मगर
यह कहिए काम आ गई निस्बत हुसैन की ।
5/ उम्मत से अपनी कह गए सरदार ए अंबिया
अल्लाह को अज़ीज़ है उल्फत हुसैन की ।
6/ हम आशिकों को गरमिय ए महशर की फिक्र क्या
कौसर है जब हुसैन का जन्नत हुसैन की ।
7/ इस वास्ते यज़ीदी नहीं कहते या हुसैन
तारी दिलों पे उनके है हैबत हुसैन की ।
8/ यह देख के ,इमरान, पशेमां है भूख ओ प्यास
न पांव लड़खड़ाए न बैअत हुसैन की ।